पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१००

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उत्पत्ति [४३ पन्चे उस देश के खामी ने हम से कहा इससे मैं तुम्हारी सच्चाई जानूंगा अपना एक भाई मुझ पास कोड़ा और अपने घराने के लिये अकान का भोजन ले जा॥ ३४ । और अपने छुटके भाई को मेरे पास ले आओ तब मैं जानंगा कि नुम भेदिये नहीं परन्तु सच्चे हो फिर मैं तुम्हारे भाई को तुम्हें मैपूिंगा और तुम देश में व्यापार कीजियो । ३५ । और यों हुआ कि जब उन्हों ने अपना अपना बोरा कूछा किया तो देखो कि हर जन का रोकड़ उम के बारे में है और अब उन्होंने और उन के पिता ने रोकड़ की थैलियां देखीं तो डर गये ॥ ३६। और उन के पिता यशुक्रब ने उन्हें कहा कि तुम ने मुझे निःसंतान किया यमुफ तो नहीं है और समऊन भी नहीं और तुम लोग बिनयमीन को ले जाने चाहते हो ये सब बात मुझ से बिरुद्ध हैं॥ ३७। तब रूविन अपने पिता से कहके बोला जा मैं उसे आप पास न खाऊं तो मेरे दोनों बेटों को मार डालियो उसे मेरे हाथ में सपिये और मैं उसे फिर आप पास पहुंचाऊंगा ॥ ३८ । और उम ने कहा मेरा बेटा तुम्हारे संग न जायगा क्योंकि उस का भाई भर गया है और यह अकेला रह गया जो जाते जाते मार्ग में उस पर कुछ बिपनि पड़े तो तुम मेरे पके बालों को शोक के माथ ममाधि में उतारोगे। १३ नेतालीसवां पर्च। पर देश में बड़ा अकाल था। २। और यों हुअा कि जब वे मिस्र से लाये हुए अन्न को खा च कं तो उन के पिता ने उन्हें कहा कि फिर जागो और हमारे लिये थोड़ा अन मोल लेओ॥ ३। तब यहूदाह ने उसे कहा कि उस पुरुष ने हमें चिता चिता कहा कि जब ले तम्हारा भाई तुम्हारे साथ न हो मेरा मुंह न देखोगे ॥ ४। सो जो आप हमारे भाई को हमारे साथ भेजियेगा तो हम जायगे और आप के लिये अन्न माल लेंगे। ५ । परन्तु जो आप न भेजगे तो हम न जा सकेंगे क्योंकि उम पुरुष ने हम से कहा कि जब लो तुम्हारा भाई तुम्हारे माय न हो तुम मेरा मुंह न देखोगे। ६। तब इसराएल ने कहा कि तुम ने मुझ से क्यों ऐसा बुरा व्यवहार किया कि उस पुरुष से कहा कि हमारा और एक भाई है और