पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उत्पत्ति [४७ पच ४७संतालीसवां पर्छ । व यूसुफ आया और फिरऊन से कहके बोला कि मेरा पिता और मेरे भाई और उन की झड और ढोर और सब जो उन के हैं कनपान देश से निकल आये और देखिये कि जश्न की भमि में हैं। २। और उस ने अपने भाइयों में से पांच जन लेके उन्हें फिरऊन के आगे किया ॥ ३। और फिरजन ने उस के भाइयों से कहा कि तुम्हारा उद्यम क्या उन्हों ने फिरजन को कहा कि आप के सेवक क्या हम और क्या हमारे बाप दादे गड़ेरिये हैं। । फिर उन्हों ने फिरज़न से कहा कि हम इस देश में रहने को आये हैं क्योंकि कनान देश में अकाल के भारे आप के सेवकों की मंड के लिये चराई नहीं है अब इस लिये अपने सेवकों को जश्न की भूमि में रहने दीजिये। ५। तब फिरऊन ने यूमुफ से कहा कि तेरा पिता और तेरे भाई तुझ पास आये हैं। ६। मिस देश तेरे आगे है अपने पिता और अपने भाइयों को सब से अच्छी भूमि में बसा जश्न की भूमि में रहें और जो तू उन में चालाक मनुष्य जानता है तो उन्हें मेरे ढारों पर प्रधान कर । ७। अब यूसफ अपने पिता यअकब को भीतर लाया और उसे फिरजन के श्रागे खड़ा किया और यअकूब ने फिरजन को आशीष दिया॥ ८ । और फिरजन ने यअकब से पूछा कि तेरे जीवन के बय के बरसों के दिन कितने हैं । । तब यअकब ने फ़िरजन से कहा कि मेरी यात्रा के दिनों के बरस एक मो नौस हैं मेरे जीवन के बरसों के दिन थोड़े और बुरे हुए हैं और मेरे पितरों के जीवन के बरसों के दिनों को जब वे यात्रा करने थे नहीं पहुंचे॥ १.। और यअकूब ने फिरजन को आशीष दिया और फिरजन के आगे से बाहर गया ॥ ११ । और यूसुफ ने अपने पिता और भाइयों को मिस देश में सब से अच्छी भूमि में रामसौस की भूमि में जैमा फिरजन ने कहा था रक्खा और अधिकारी किया ॥ १२। यूसुफ ने अपने पिता और अपने भाइयों और अपने पिता के सारे घराने का उन के लड़के बालों के समान प्रतिपाल किया। १३। और मारे देश में रोटी न थी क्योंकि ऐसा कटिन अकाल था