पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१३२

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१२२ यात्रा २१ । और [८ पद और उन के सब पानियां पर चला कि वे लोहू बन जायें और मिस्र के सारे देश में हर एक पत्थर और काट के पात्र में लोहू हो जाय ॥ २० जैसा कि परमेश्वर ने आज्ञा किई थी मूसा और हारून ने वैसाही किया मूसा ने छड़ी उठाई और नदी के पानी पर फिर जन के और उस के सेवकों के माम्ने मारी और नदी के सब पानी लोहू हो गये ॥ २१॥ नदी की मछलियां मर गई, और नदी बसाने लगी और मिस्र के लोग नदी का पानी पी न सके और मित्र के सारे देश में लोहू हुआ। २२। तब मिस्र के टोन्ही ने भी अपने रोना से ऐसाही किया और फिरजन का मन कठोर रहा और जैसा कि परमेश्वर ने कहा था वैसा उम ने उन की न सुनी॥ २३ । फिर ऊन फिरा और अपने घर को गया और उस ने अपना मन इस बात पर भी न लगाया ॥ २४ । और सारे मिसियों ने नदी के पास पास खोदे कि उन से पानी पीयें कयाकि वे नदी का पानी पी न सके ॥ २५ । और परमेश्वर के नदी को मारने से पीछे सात दिन बीत गये। ८ आठवां पढ़। -फर परमेश्वर ने ममा से कहा कि फिरजन यास जा और उसे यह कह कि परमेश्वर यां कहता है कि मेरे लोगों को जाने दे जिसने वे मेरो सेवा करें॥ २। और यदि तू उन्हें जाने न देगा तो देख मैं तेरे समस्त सिवानों को मेंडुको से मारूंगा ॥ ३। और नदी बहुताई से मेंडुको को उत्पन्न करेगी और वे निकल के तेरे घर में और तेरे शयन स्थान में और तेरे बिछानों पर और तेरे सेवकों के घरों में और तेरी प्रजा पर और तेरी भट्टियों में और तेरे आटे गूंधने के कठरों में जायेंगे । और मेंडुक तुम पर और तेरी प्रजा पर और तेरे समस्त सेवकों पर चहेंगे ॥ ५। और परमेश्वर ने मूसा से कहा कि हारून से कह कि छड़ी से अपना हाथ धारों पर और नदियों पर और कुण्डों पर बढ़ा और मेंडुकों को मिस्र के देश पर चढ़ा ॥ ६। तब हारून ने मिस्र के पानियों पर हाथ बढ़ाया और मेंड़कों ने निकलके मिस्र के देश को ढांप लिया। ७। और टोन्हा ने भी अपने टाना से ऐसाही किया और मिस्र के देश पर मेंडुक चढ़ाये॥ ८। तब फिरऊन ने मूसा और हारून को ४।