पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१४८

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यात्रा समुद्र को चलाया और १३० [२४ पन्ने उन के पीछे भा रहा और मेघ का खंभा उन के सन्मख से गया और सन के पौके जा उहरा ॥ २.। और मिस्त्रियों की छावनी और इमराएल की छावनी के मध्य में आया और वुह एक अंधियारा गेव मिस्त्रियों के लिये हो गया परंतु रात को इसराएल को उजियाला देता था से रात भर एक दूसरे के पास न अाया। २१ । फिर मूसा ने समुद्र पर हाथ बढ़ाया और परमेश्वर ने बड़ी प्रचंड पुरवी आंधी से रात भर समुद्र को सुखा दिया और पानी को दो भाग किया ॥ २२ । और इसराइल के संतान समुद्र के बीच में से सूखे पर होके चले गये और पानी की भौत उन के दहिने और बाये और यी॥ २३ ॥ और मिस्त्रियों ने पीछा किया और फिरजन के सब घोड़े और उस के रथ और उस के घोड़ चढ़े उस का पीछा किये हुए समुद्र के मध्य लो अाये ॥ २४ । अौर यां हुअा कि परमेश्वर ने पिछले पहर उस बाग और मेव के खंभे में से मिसियों की सेना पर दृष्टि किई और मिसिया की सेना को घबराया ॥ २५ । और उन के रथों के पहियों को निकाल डाला कि चे भारी से हांके जाते घे से मिस्त्रियों ने कहा कि आशा दूसराएलियों के सन्मुख से भागें क्योंकि परमेश्वर उन के लिये मिसियों से लड़ता है॥ २६ । और परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ ममुद्र पर बढ़ा जिसतें पानी मिस्त्रियों पर और उन के रथों और उन के घोड़ चढ़े पर फिर आचे । २७ । तब मूमा ने अपना हाथ समुद्र पर बढ़ाया धैर समुद्र विहान होते अपनी सामर्थ पर फिरा और मिसी उस के आगे भागे और परमेश्वर ने मितियों को समुद्र में माश किया। २८। और पानी फिरा और रथां और घोड़ चढ़ी और फिर जन की सब सेना को जो उन के पीछे समुद्र के थौच में आई थौ छिपा लिया और एक भी उन में से न बचा ॥ परंतु इसराएल के संतान सूखी से समुद्र के कोच में से चले गये और पानी को भीत उन के बायें और दहिने यौ॥ ३० । सो परमेश्वर ने उस दिन दूसराएलियां को मिस्त्रियों के हाथ से यां बचाया और इमराएलियों ने मितियों की लाथें समुद्र के तौर पर देखौं । ३१ । चौर जो बड़ा कार्य कि परमेश्वर ने मिखियों पर प्रगट किया