पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६१

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को पुस्तक । २१ पर्च २५१ पाम ले जाय फिर उसे द्वार पर अथवा द्वार की चौखट पर लाये और सुतारी से उस का कान छ दे और बुह सदा उस की सेवा करे ॥ ७। और यदि कोई मनुष्य अपनी कन्या को बेंचे जिमते बुह दामी हाय ने बुह दासों को नाई बाहर न जा सकेगी। ८। यदि बुह अपने खामी की दृष्टि में जिस ने उसी विवाह किया बुरौ हाय तब उह उसे छुड़वावे परंतु उसे सामर्थ्य नहीं कि किमो अन्य देशो के हाथ बेंच डाले क्योंकि उस ने उस्मे छल किया ॥ । और यदि वह उसे अपने बेटे से ब्याह दवे तो वुह उमा बेटियों का व्यवहार करे। १०। यदि वुह टूमरी को लेवे तो उम का अन्न और बस्त्र और विवाह का व्यबहार न घटावे ॥ और यदि वुह ये तीन उससे न करे तो वुह संत से बिना दाम दिये चलौ जाय ॥ १२ । जे? कोई किसी मनुष्य को मारे और वह मर जाय वुह निश्चय पात किया जाय ॥ २३ । और यदि वह मनुष्य घात में न लगा हो परंतु ईश्वर ने उस के हाथ में सैप दिया है। तब मैं तुझे उस के भागने का स्थान बता हूंगा। १४ । परंतु यदि कोई मनुष्य अपने परोसी पर साहम से चढ़ आवे जिप उसे छल से मारे तो उसे तू मेरी यज्ञवेदी से ले जिमतें Jह मारा जाय । और जो अपने पिता अथवा अपनी माता को मारे निश्चय घात किया जायगा। १६ । और जो मनुष्य को चुरावे और उसे बैंच डाले अथवा बुह उस के हाथ में पाया जाय तो बह निश्चय घात किया जायगा । जो अपने पिता अथवा अपनी माता पर धिभार करे निश्चय धात किया जायगा ॥ १८ । और यदि दो मनुष्य झगड़ें और एक दूसरे को पत्थर से अथवा मुशा मारे और बुह न मरे परंतु बिछाने पर पड़ा रहे । १६ । तो यदि वुह उठ खड़ा होय और लाठी लेके चले तो जिस ने मारा सो निर्दोष ठहरेगा केवल उस के समय की घटौ के लिये भर देवे और चंगा कराधे । २० । और यदि कोई अपने दास अथवा दानी को छड़ी नारे और वुह मार खाती हुई मर जाय तो निश्चय उन का पलटा लिया जाय ॥ २१ । तथापि यदि बह एक दिन अथवा दो दिन जोवे तो उसे दंड न दिया जावे इस लिये कि बुह उस का धन है॥ २२ । यदि लोग झगड़ें पार गर्भिणी को दुःख पहुंचायें ऐसा कि उस का गर्भ- और