पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१७७

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कौ पन्तक। २९ पञ्च] यज्ञवेदी के पास सेवा को आव कि ये पाप न उठाव और मर जायें यह विधि उस के और उस के पौधे उस के बंश के लिये सदा को है। और २६ उनीमयां पच । पर वुह जो तू उन के लिये करेगा जिसने उन्हें पवित्र करे कि वे मेरे लिये याजक हो याजक के पद में मेरी सेवा यह है कि त् एक बछड़ा और दो निष्कलंक में ले ॥ २। और अखमीरी रोटी और फुलके और अखमीरी फुलके तेल से चुपड़े हुए और खमीरी टिकरी तेल में चुपड़ी हुई खेत गेहूं के पिसान की बना ॥ ३। और उन्हें एक टोकरी में रख और उन्हें टोकरी में बछड़े और दोनों में समेत आगे ला॥ ४। और हारून और उस के बेटों को मंडली के तंबू के द्वार पर ला और उन्हें जल से नहला॥ ५ । और वस्त्र ले और हारून को कुरती और पटुके का बागा पहिना और एफौद और चपरास एफोट का पटुका उम पर बांध ॥ ६ । और मुकुट को उस के सिर पर रख और पवित्र किरीट मुकुट पर धर॥ ७॥ तब अभिषेक करने का तेल ले और उसके सिर पर ढाल और उसे अभिषेक कर। ८। फिर उस के बेटों को आगे ला और उन्हें कुरती पहिना । । और हारून और उस के बेटों पर करिबंध लपेट और उन पर पगड़ी बांध जिमतें याजक का पद सनातन की विधि के लिये उन्हीं का होवे और हारून और उम के बेटी को स्थापित कर। १.। फिर रम वैल को मंडली के तंब के आग ला और हारून और उस के बेटे अपने हाय रस के सिर पर रक्खें । ११ । और उस बैल को मंडली के तंब के दार पर परमेश्वर के आगे बलिदान कर॥ १२। और उस के लोह में से कुछ ले और अपनी अंगुली से यज्ञबेदी के मोंगों पर लगा और बचा हुआ लाहू यज्ञवेदी के नीचे ढाल ॥ १३ । और उस की समस्त चिकनाई जो उम के अंतर को ढांपनी है और जो कलेजे के ऊपर है और दोनों गुर्दै और जो चिकनाई उन पर है ले और उन्हें यज्ञबदी पर जन्ना। १४ । परंतु उस बैल का मांस और खाल और गोबर छावनी के बाहर आग से जला यह पापों का बलिदान है। १५ ।