पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८१

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३० पर्च ] को पुस्तक ११। और परमेश्वर मूसा से यह कह के बोला। १२कि जब त दूसराएल के संतानों को गिने तब उन में से हर मनुष्य अपने प्राण के कुड़ाने के लिये परमेश्वर को दो जब तू उन की गिनती करे जिपतं मिनती करने में उन पर मरी न श्रावे॥ १३ । जो कोई गिनती किये गये होने से पवित्र स्थान के शेकला के समान बाधा शैकल देवे एकशेकस बीस गिरह से बाधा शैकल परमेश्वर की भर है। १४ । जो कोई गिनती किये गये में होवे बीस बरस का और जो ऊपर होवे सेा परमेश्वर के लिये भेंट दवे। १५ । अपने प्राण का प्रायशित करने को परमेश्वर की भेंट देने में पनी कंगाल से अधिक न देवे और कांग न अाधे शैकल से न घटावे ॥ १६ । और लू इसराएल के संतानों के प्रायश्चित्त का दाम ले और उसे मंडली के तंब के कार्य कि सेवा के लिये टहरा और यह इसराएल के मतानों के लिय परमेश्वर के आगे स्मरण और उन के प्राण का प्रायशिन होगा। १७। फिर परमेश्वर मूसा से कह के दोहा॥ १८ । कि पीतल कर एक स्नान पाव बना और उस का पाया मान करने के लिये पीतल का बना और उस को मंडली के नंब और यज्ञवेदी के मध्य में रख और उम में जल डाल ॥ १८। और हारून और उस के बेटे अपने हाथ पांय उरो धाव। २०। जब वे मंडली के तंब में जावें वे जल से धोयें जिमने नाश न होवे अथवा जब वे सेवा के लिये यज्ञबेहो के पाम जावें और परमेश्वर के लिये होम की भेंट जलावे ।। २१ । वे अपने हाथ पांत्र या जिसमें वे न मर यह व्यवहार उन के लिये अर्थात उस के और उस के बंह की समस्त पीढ़ी ले सदा के लिय होवे॥ २२ । फिर परमेश्वर मूसा से कहके बोना ॥ २३ । किन अपने लिये पांच सौ शैकल के चाखे गंधरस का प्रधान सुगंध द्रव्य पर उम की आधी अर्थात् अढ़ाई से की मोठी दारचौनी और अहाई मो का मध बच अपने लिय ले।४।ौर परित्र स्थान कि काम के तील पाच मोशेकस भर लमले और जलपाई का नेन तीन से।। २५ । और इन्हें पवित्र लेपन का नन्न बना गंध की रौनि के समान मिला के लेपन वना यही पवित्र के अभिषेक काल हात्रे ॥ २६ । चार सदा मंडली क