पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१९८

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यात्रा ४। और [३८ पर्व यज्ञवेदी के समस्त पात्र बरलाही और फाड़ियां और कटोरे और मांस के कांटे और अंगेठियां उस के समस्त पात्र पौनल से बनाये।। उस ने बेदी के नीचे के लिये पीतल की एक झंझरी बनाई। ५। और उस ने पीतल की झंझरी के चारों कोनों के लिये बहंगर के स्थान पर चार कड़े बनाये॥ ६। और उस ने बहंगरों को शमशाद की लकड़ी से बनाया और उन्हें पौतन से मढ़ा॥ ७। और उस ने बहंगरों को बेदी के उठाने के लिये अलंगों के कड़ी में डाला उस ने वेदी को परियों से पाला बनाया। ८। और उस ने स्थान पात्र और उस की चौकी पौतल से बनाई उन स्त्रियों के दर्पण से जो मंडली के तंबू के द्वार पर एकट्ठौं होती थीं॥ । और उस ने आंगन बनाया उस के दक्षिण दिशा के दक्षिण और भौने बटे हुए सूती बस्त्र से आट मा हाथ की बनाई ॥ १.। उन के बीस खंभे और उन के पीतल के बीस पाए और खंभों के अांकड़े और उन की मामी चांदी की॥ १९ । और उत्तर दिशा के लिये सौ हाथ उन के बीस खंभे उन के पीतल के बीस पाए खंभों के अांकड़े और सामी चांदी की ॥ १२। और पश्चिम की ओर पचास हाथ की बोट और उन के दस खंभे और उन के दस पार और खंभों के आंकड़े और सामी उन को चांदी की ॥ १३ । और पूर्व दिशा की पर्व और के लिये पचास हाथ ॥ १४। चोट पंदरह हाथ की अांगन पर उनके खभे तीन और उन के पाए तीन ॥ १५ । और अरंगन के द्वार को दूसरी अलंग के लिये इधर उधर पंद्रह हाथ की ओट उन के तीन खंभे और उन के तीन पाए। १६ । आंगन की चारों ओर की समस्त नोट बटे हुए झीने सनी बस्त्र की थी॥ १७॥ और खंभे के पाए पीतल के और खंभा के अांकड़े और उन की मामी चांदी की और उन के माथे चांदी से मते हुए और आंगन के सव खंभे चांदी के शलाके के थे । १८। और आंगन के द्वार की पोट यूटा कढ़े हुए नीले और बैंजनी और लाल और बरे हुए झीने सूतौ बस्न की थी उस की लंबाई बीस हाथ और चौड़ाई पांच हाथ यांगन की ओर से मिलती थी॥ १९ । और उन के चार खंभे और उन के चार पाए पीतल के उन के आंकड़े चांदी के और उन के माथे और मामी चांदी से मढ़े हुए थे ॥ २० । और