पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२००

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यात्रा ३ । और उन्होंने सोने के पतीन्न पतील पत्तर गढ़े और नार खींचे जिमते उन्हें नौले में और बैंजनौ में और लाल गें और कोने सूती बस्त्र के साथ चित्रकारी की क्रिया से बनायें ॥ ४। और उस के लिये कंधो के टुकड़े बनाये कि जोड़े बुह दोनों खूट से जोड़ा हुआ था। ५। और उस के एफोद का पटुका जो उस के कार्य के समान सोने का और नीले और बैंजनी और लाल और बरे हुए झीने मून से जैसा कि परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा किई थी उसी में से था । ६ । और वे वैदूर्यमणि को और उन्हें सोने के ठिकानों में जड़ा और उन में दूसराएल के सतानों के नाम खोदे जैसा कि अंगूठी खोदी जाती है। । कि मणि इसराएल के संतानों के स्सारण के लिये उन्हें एफोद के कंधों में रक्खा जैसा कि परमेश्वर ने ममा को आज्ञा किई थी॥ ८। और चपराम को हथौटी के कार्य से एफोद की नाई सोने और नीले और वैजनी और लाल और बटे हुए भौने सती बस्त्र से बनाया ॥ ९ । वृह चौकार था उन्हों ने चपराम को दोहरा बनाया उस की लंबाई और चौड़ाई बित्ता भरकी दोहरी थी। १०। और उन्हों ने उस में मणि को चार पांती जड़ों पहिली पांती में माणिक्य चार पद्मराग और लालड़ी॥ ११। दूसरी पाली में एक पन्ना एक नील्म एक हौरा ॥ १२ । तीमरौ पांतो में एक लशम एक सूर्यकांत और एक नीलमणि ॥ चौथी पानी में एक बैटूर्य और एक फीरोजा चंद्रकांत सोने के घरों में जड़े हुए थे ॥ १४। इन मणिन में इसराएल के मतानों के नाम के समान वारहों के नाम के समान बारह भेद के ममान हर एक का नाम खादा हुआ था जैसी अंगठी खोदी जाती है। १५ । और चपरास को कोरों में निर्मल सोने की गयी हुई सीकरें बनाई। १६ । और उन्हों ने सोने के दो घर और सोने के दो कड़े बनाये और दोनों कड़ों को चपरास के दोनों कड़ी में लगाया ॥ १७॥ और उन्हों ने गयौ हुई सोने की दो सौकरें चपरास की कारों के दोनों कड़ों में लटकाई। १८। और गुंथी हुई दो सौकरों के दोनों खूट को उन्हों ने दोनों घरों में दृढ़ किया और उन्हें एफोद के दोनों पुट्ठां के टुकडों के आगे लगाया ॥ १६ । और उन्हों ने सोने के दो कड़े बनाये और उन्हें चपरास की दो कारों में लगाया उम खूट पर जो एफोद के भीतर की ओर था। २०। और उन्हीं