पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२०४

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याबा [४० पब्लै पर मुगंध धूप जलाया ॥ २८ । फिर तंबू के द्वार पर ओट को टांगा ॥ २९। और यज्ञबेदी को तंबू के द्वार पर मंडली के संबू के पास खड़ा किया और जैसा कि परमेश्वर ने मूमा को अपना किई थी उस ने उस पर होम की भेंट और मरम् की भेंट चढ़ाई। ३० । और उस ने स्नान पात्र को मंडली के तंबू के और यज्ञवेदी के मध्य में रक्खा और नहाने के लिये उस में पानी डाला ॥ ३१। तब उसो मूमा और हारून और उस के बेटों ने अपने हाथ पांव धोये ॥ ३२ । जब वे मंडली के नंब में प्रवेश करते और यज्ञवेदी के पास भाते जैसा कि परमेश्वर ने मूमा को आज्ञा किई थी नहाते ॥ ३३। फिर उस ने तंब की और बेदी की चारों ओर अांगन पर और आंगन के द्वार पर चोट टांगी से मूमा ने सब कार्य परा किया। ३४। तब मेघ ने मंडली के तंब को ढांपा और नंबू में परमेश्वर का तेज भर गया ॥ ३५ । और मूसा मंडली के तंबू में मवेश न कर सका इस लिये कि मेघ उस पर ठहरा था और तंबू परमेश्वर के तेज से भरा था॥ ३६ । और अब मेव तंबू पर से ऊपर उठाया जाता था तब इमराएल के संतान अपनी समस्त यात्रा में बढ़ जाते थे। ३७। परंतु जब मेघ जपर उठाया न जाता था तब वे यात्रा न करते थे। ३८ क्योंकि दिन को परमेश्वर का मेघ और रात को आग तंब पर इसराएल के सारे घरानों की दृष्टि में उन की समस्त यात्रा में उहरता था।