पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२०२ लैव्यव्यवस्था [५ पर्च दोषी होगा ॥ ३ । अथवा यदि वह मनुष्य को अपवित्रता का ये हो जिसो मनुष्य अशुद्ध होता है जब उसे जान पड़े तब वह दोषी होगा । ४ । अथवा यदि कोई प्राणी मुंह से बुरा अथवा भला करने को उच्चारे अथवा किरिया खाय और जो कुक्क वुह किरिया खाके उच्चारण करे और बुह उसे गुप्त हो जब उसे जान पड़े लव एक इन में से दोषी होगा। ५। और यो हामा कि जब वुह उन में से एक बान का दोषी हो तो वह मान ले कि मैं ने यह पाप किया है।। ६ । तब बुह अपने अपराध को भेंट अपने पाप के नव जो उस ने किया है झंड में से स्वौ बर्ग एक भेड़ अथवा बकरी में से एक मेना अपने अपराध की भट के लिये परमेश्वर के आगे लाबे और याजक उम के पाप के लिये प्रायश्चित करे। ७) और यदि उसे भेड लाने की पूंजो न हो तो बुह अपने किये हुए अप- राध के लिये दो पिण्डुकियां अथवा कपोत के दो बच्चे परमेश्वर के लिये लावे एक पाप की भेंट के लिये और मरा होम की भेंट के लिय। ८ फिर बुह उन्हें याजक पास लाने और चुह पहिले पाप की भट चढ़ावे और उस का भिर गले के पान से मरोड़ डाले परंतु अलग न करे॥ । और पाप की भेंट के लोहू का वही के अलंग पर छिड़के और उबरा हुआ सोह बेदी को जड़ पर निचोड़े यह पाप की भेंट है। ...। और दूसरे को व्यवहार के समान होम की भेट के लिये चढ़ावे और याजक उम के. किये हुए अपराध का प्रायश्चिन करे और बुह क्षमा किया जायगा । ९९। पर यदि उसे दो पिण्डुकियां अथवा कपात के दो बच्चे लाने की पूंजी न हो तो वुह अपने पाप की भेंट के लिये सेर भर चोखा पिसान पाप की भेंट के लिये लाये उस पर तेल न डाले न गधरम रक्खे यह पाप की भेंट है ॥ १२ ॥ तब बुह उसे याजक पास लाये और याजक उस में से स्मरण के लिये अपनी मुट्ठी भर के उस भेर के समान जो परमेश्वर के लिये आग से होती है बेदी पर जलाये यह पाप को भेंट है॥ १३ । और थाजक उस पाप के कारण जो उस ने किया दून बानों में से मायस्थित करे और वुह क्षमा किया जायमा और भोजन की भेट के समान याजक का होगा । १.४ । फिर परमेश्वर भूसा से बोला। १५ । कि यदि कोई माणौ। अपराध करे और परमेश्वर की पवित्र बस्नुन में से अज्ञानता से.