पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२१५

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की पस्तका ७पर्च] २०५ उस का आधा बिहान को और उस का अाधा मांस को नित्य हुआ करे॥ २१। और यह तेल से बनके नये पर पकाया जावे पकी हुई भोतर न्तायो भोजन को भेट पके हुए टुकड़े टुकड़े परमेश्वर के सुगंध के लिये चढ़ाओ॥ २२। उस के बेटा में का याजक जा उस के स्थान पर अभिषेक हो नुह उसे चढ़ावे यह विधि परमेश्वर के कारण सदा होवे वह संपूर्ण जलाया जाये॥ २३॥ याजक के हर एक भोजन की भेंट सब की सब जलाई जावे सो कभी खाई न जाये॥ २४। र परमेश्वर ममा से कहके बाला॥ २५ । कि हारून और उस के बेस से कह पाप को भेट की व्यवस्था यह है कि जिस स्थान में जलने को भेट बलि किई जाती है वहीं पाप की भट भी परमेश्वर के आगे बलि किई जाय यह अत्यंत पवित्र है॥ २६ । जो याजक पाप के लिये उसे चढ़ावे से उसे खाय वुह पवित्र स्थान में मंडली के तंबू के शांगन में खाया जाये ॥ २७। जो कोई उस के मांस को छूथेगा से पवित्र होगा और जब उस का लोह किसी वस्त्र पर छिड़का जाय उसे पवित्र स्थान में श्रा॥ २८। परंतु जिस मिट्टी के पात्र में बह सिकाया जावे सो तोड़ा जाय और यदि बुह पीतल के पाव में सिझाया जावे तव बुह मांजा जाके पानी में खंधारा जाय ॥ २८। याजकों में से समस्त पुरुष उसे खाव चुह अन्यंत पवित्र है। और पाप की कोई भेट जिस का कुछ भी लोह मडली के तंव में मिलाप के कारण साया जाय से खाया जायगा नाग से जलाया जावे ॥ और ७ सातवां पर्छ । पर अपराध की भेट की व्यवस्था भी वह है वह अत्यंत पवित्र है। २। जिस च्यान में वे होम को भट को बलि करें उसी स्थान में अपराध की भट को बलि कर और उस क लोह को बेदी के चारों ओर पर छिड़फ॥ ३। और वह उस की सारी चिकनाई को चढ़ावे उस की पूंछ और बुह चिकनाई जा रोक को नापती है ॥ ४ । चार दोनों गुर्दे और उन पर की चिकनाई जा पांजरों के पास है और कलेजी पर को मिली गुीं समेत अन्नग करे । ५। और याजक उन्हें परमेश्वर की नाग की भेट के लिय होम की बंदी पर जनावे यह अपराध की भेंट है।