पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२२६

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लैव्यव्यवस्था [११ पञ्चे खर बिभाग हों और पांब चौरा न हे। और पागुर करता न हो सो तुम्हारे लिये अशुद्ध है जा कोई उन्ह छयेगा से अशुद्ध होगा ॥ २७ ॥ और समस्त प्रकार के पशु जा चार पांव और थाप पर चलते हैं तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं जो कोई उन की लोथ को येगा से सांझ लो अशुद्ध रहेगा। २८। और जो कोई उन की लोथ को उठाचे से अपने कपड़े धावे और बुह सांझ लो अशुद्ध रहेगा य तुम्हारे लिय अशुद्द हैं। २० । और एथिवी पर के रंगवैयां में से य तुम्हारे लिये अपवित्र हैं नेउर और चहा और भांति भांति का कछुआ॥ ३०। और टिष्टि की और गिरगिटान और बहनो और कलंदर और पांघा ॥ ३१ । सब रगयां में से ये तुम्हारे लिय अपवित्र हैं जा कोई उन को लाथ को छूये सेा सांझ लों श्रशुस होगा॥ ३२ । और जिम किमी पर इन्हीं में से मर के गिर पड़े अशुद्ध होगा चाहे लकडी का पात्र अथवा बस्त्र अथवा खाल अथवा टाट ज्ञा पात्र होवे जिस्म काम होना हो सो अवश्य जल में डाला जावे और सांझ ले अपवित्र रहेगा और इसी रीति से पवित्र होगा। ३३ । और मब मिट्टी के पात्र जिन में उन में से गिरे जा उस में होवे से। अशुद् होगा तम उसे तोड डालिया॥ ३४ । समस्त भाजन जा खाया जाता है जो उस में उन से पानी पड़ से अशुद्ध होगा और जो कुछ एसे पात्रों में पीया जाता है सो अण्ड होगा ॥ ३५ । और जिस पर उन की लोथ पड़ सो अपवित्र होगा चाहे भट्ठो चाहे चूल्हा होय तोड़ा जायगा वे अप- वित्र हैं और तुम्हारे लिय अशर हांग ॥ ३६। तथापि सेोता और कूआ जिस में बहुत जल होबे वुह शुडू होगा परंतु जेर कोई उन की लाथ को छुचेगा सो अशुद्ध होगा ॥ ३७। और यदि उम की लाथ किसी बोने के बीज पर गिरे से पवित्र रहेगा॥ ३८ । परत यदि उस बीज पर पानो पड़ा हे! और उन की लरथ से कुछ उस पर गिरे से तुम्हारे लिय अशुद्ध होगा ॥ ३६ । और यदि तुम्हारे खाने के पशुन में से कोई मरे जा कोई उस की लोथ को छय से सांझ ले अशुद्ध हे।गा ॥ ४.। और जो कोई उम की लाथ में से खावे से अपने कपड़े थे। वे और सांझ लो अणुन होगा और जा उन को लाथ का उठाता है सो भी अपने कपड़ धावे और सांझल ४१ । और हर एक जाटाययों पर अशुद्ध होगा।