पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१२ प । तुम आप को को पुस्तक रंगता है मोबिनित है उसम खाया न जायगा। ४२। जो पेट के बल चलता है और जो चार पाद्यों पर चलते हैं और रगय में से जा अधिक पांव रखते हैं और एथिची पर रंगते हैं तम उन्हें न खाइया क्योंकि वे चिनित हैं। ४३। तुम किमो रेंगवैये से जा एथिवी पर रंगता है अपने को घिनित मत करो और न आप को उन के कारन से अपवित्र करो यहां ले कि तुम उस्मे अशुद्ध हो जाओ । ४४| क्योकि में ईश्वर परमेश्वर है इस लिये शुद्ध करो और तुम पवित्र होगे क्योंकि मैं पवित्र हूं और अपने को किसी रंगवैय जन से जो पृथिवी पर रेंगता है अशुद्ध न करो॥ ४५ । क्योंकि मैं परमेश्वर हैं जो मिस्र के देश से तुम्हें ले जाता हूं जिमते तुम्हारा ईश्वर हं से तुम शुद्ध हो क्योंकि मैं पवित्र हूं।।६। चारपाये और पक्षी और सब जीवधारी जो पानी में चलते हैं और हर एक जन्नु जो पृथिवी पर रंगते हैं उन की यही व्यवस्था है। ४७॥ कि शुद्ध और अशुद्ध में और उन पशुन में जो खाये जावं और उन में जो न खाये जाब तम बिभेद करो। १२ बारहवां पई। फिर परमेश्वर मसा से कहके बाला । २। कि इमराएल के संतानों से कह कि जव स्त्री गर्भिणी होबे और वेटा जने तब वुह सात दिन अशुद्ध होगी जैसे दुर्बलता के कारण अलग होने के दिनों में होती है॥ ३। और आठवें दिन लड़के का खतनः किया जावे ॥ ४ । और बुह रूधिर से पवित्र होने के लिये ते तीस दिन पड़ी रहे किसी पवित्र छये और जब लो उस के पवित्र होने के न पर्ण न हे।व तब ला वुह पवित्र स्थान में न जावे ॥ ५ । और यदि लड़की जने तो वह दा अठबारे अशुद्ध होगी जैसे अपने अलग किये जाने के दिनों में थो और वुह अपने रुधिर की पवित्रता के लिये कियामठ दिन पड़ो रहेगी॥ ६। पौर जब उस के पवित्र हेरने के दिन पुत्र के अथवा पुत्री के पूर्ण हाय तब वह पहिले बरम का एक मेम्ना होम की भंट के लिय लेवे और एक कपोत का बच्चा अथवा पिण्डुको पाप को भंट के लिये मंडली के तंब के द्वार पर याजक पास लावे॥ ७॥ बुह उसे परमेश्वर के आगे चढ़ाये और उस के [A. B. S.] बस्तु को न 28