पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२५७

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२५ पब्द को पुस्तक । पाम बेंचा है उस को बढ़ती फेर देवे जिसने बुह अपने अधिकार पर फिर जाय ॥ २८। परंतु यदि वुह फेर देने पर खड़ा न हो तव जो बंचा हुया है सो अानंद के वरम लो उसी के हाथ में रहे जिस ने उसे मोल लिया और आनंद में वुह कट जायगी तब बुह अपने अधिकार पर फिर जावे ॥ २। और यदि कोई घर को जा भीत नगर में हैं बेचने के पीछे बरस भर में उसे छुड़ारे पूरे वरम में वुह उसे कुड़ावे ॥ ३० ॥ और यदि बरम भर में छुड़ाया न जाय तो वुह घर जा भीत नगर में है सेो उम के लिये जिस ने मोल लिया है उस की समस्त पीढ़ियों में दृढ़ रहेगा और वुह अानंद के घरम में बाहर न जायगा ॥ ३१ । परंतु गांव के घर जिन के ग्राम पास भीत न होवे देश के खेतों के ममान गिने जात्रं वे छुड़ा सकें और अानंद में छट जायगे ॥ ३२ लावियों के नगर और उन के अधिकार के नगरों के घर जब चाहें तब लाबी छुड़ायें ॥ ३३ । और यदि कोई मनग्य लात्रियों से मोल लेवे तब जो घर बचा गया और उस के अधिकार का नगर फिर यानंद के बरस में कट जायगा क्योकि लावियों के नगर के वर इनराएल के संतानों में उन के अधिकार है॥ ३४। परंतु वे खेत जा उन के नगरों के सिवाने में हैं बचे न जावं क्योंकि यह उन के सनातन का अधिकार है॥ ३५। और यदि तुम्हारा भाई दुःखी और कंगाल हो जाये तो तुम उम की सहाय करो चाहे वह परदेशी होय चाहे पाहुन जिसने बुह तुम्हारे माथ जीवन काटे ॥ ३६ । तू उस्से ब्याज और बढ़ती मत ले परंतु अपने ईश्वर से डर जिसतं तेरा भाई, तेरे साथ जीवन काटे ॥ ३७॥ तू उसे ब्याज पर ऋण मत दे और बढ़ती के लिये भोजन का ऋण मन दे। ३८ । मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर हं जो तुम्हें मिस्र के देश से निकाल लाया जिसने तुम्हे कनान का देश देऊ पार तुम्हारा ईश्वर हा ॥ ३९। चौर यदि तेरा भाई तुम पास कंगाल हो जाय और तुझ पास वेंचा जाय तो त उम्से दास की नाई सेवा मन करवा ॥ ४०। परंतु बुह बनिहार और पाहुन की नाई तेरे साथ रहे और आनंद के बरम लो नेरी सेवा करे। ४१ । और उस के पीछे बुद्द अपने लड़कों समेत तुझ से अलग हो जायगा और अपने घराने और अपने पिता के अधिकार को फिर जाय ॥ ४२। इस लिये कि वे मेरे सेवक हैं जिन्हें में [A. B. S.] 3:9