पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२५८

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[२५ पर्च ४४॥ मत लेगा। २५. लैव्यव्यवस्था मिन की भूमि से बाहर ले आया वे दासों की नाई बेंचे न जावें ॥ ४३ । तू कठारता से उन से सेवा मत ले परंतु अपने ईश्वर से डर । तुम्हारे दास और तुम्हारी दासियां जिन्हें तुम अन्य देशियों में से जो तुम्हारे श्राम पास हैं रक्खोगे उन्हीं में से दाम और दामियां मेल लेरा॥ ४५ ॥ और उन परदेशियों के लड़कों में से भी जो तुम्म बास करते हैं और उन के घराने में से जो तुम्हारी भमि में उत्पन्न हुए हैं मोल लीजिया वे तुम्हारे अधिकार होंगे ॥ ४६ । और तुम उन्हें अपने पीछे अपने लड़कों के लिये अधिकार में लेयो वे सदा ले तुम्हारे दास हैं परतु तुम अपने भाइयां पर जो इसराएल के संतान हैं एक दूसरे पर कठोरता से सेवा ४७1 और यदि कोई पाहुन अथवा परदेशी नेरे पास धनौ हो और नेरा भाई जा उस के साथ है कंगाल हो जाबे और उस परदेशी अथवा पाहुन के हाथ जा नेरे साथ है अथवा उस के हाथ जा परदेशी के घरानों में से होय किसी के हाथ आप को बेच डाले। ४। उस के बेंचे जाने के पीछे वह फेर कुड़ाया जा सके उस के भाइयों में से उसे छुड़ा मके॥ ४६। चाहे उस का चचा चाहे उस के चचा का पुत्र अथवा जो कोई उस के घराने में उस का गाती है। उस को छुड़ा सके और यदि उस्म हो सके तो बुह आप को छुड़ावे ॥ ५ । और बुह अपने बेचे जाने के बरस से लेके धान के बरस ले गिने और उस के बचे जाने का माल बरसे की गिनती के समान होवे वुह बनिहार के समय के समान उस के साथ रहेगा ॥ ५९ । यदि बहुत बरस रहे तो बुह अपने छुड़ाने को उस माल से जिससे वह बेचा गया उन वरसों के ममान फर दे ॥ ५२। और यदि आनंद के थाई बरस रह जायें तो युह लेखा कारे और अपने छुटकारे का मोल अपने बरसों के समान उसे फेर दे ॥ ५३ । और बुह बरस बरस के बनिहार के समान उस के साथ रहे और उस पर कठोरता से सेवा न करवावे ॥ ५४ । और यदि बुद्द इन में छुड़ाया न जावे तो श्रानंद के बरस में वुह अपने लड़को समेत छुट जायगा। ५५ । क्योंकि दूसराएल के संतान मेरे सेबक हैं वे मेरे सेवक जिन्हं में मिस्त्र के देश से निकाल लाया मैं परमेश्वर तुम्हारा ईम्पर हं।