पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२६३

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२७ पब्ब पुस्तक । २५५ और उस का पलटा पवित्र होंगे॥ १९ । और यदि वुह अपवित्र पशु होय जो परमेश्वर का बलिदान नहीं चढ़ाते तो बुह पशु को याजक के आगे लाये ॥ १२। और याजक उस का मोल करे चाहे भला होवे चाहे बुरा जैसा थाजक उस का माल ठहराये वैसा ही होवे ॥ १३ । परंतु यदि वह किसी भांति से उसे छुड़ावे नो वुह उस मेलि में पांचवां भाग मिला। १४। और जब मनुष्य अपने घर को परमेश्वर के लिये पवित्र करे तो याजक उस का मोल ठहराये चाहे भला होवे चाहे बरा याजक के ठहराने के ममान उस का मोल होगा। १५ । और जिस ने उस घर को पवित्र किया है यदि बुह उसे छुड़ाया चाहे तो तेरे मोल का पांचों भाग उस में मिलाके दये और घर उस का होगा ॥ १६ ॥ यदि कोई अपने अधिकार से कुछ खेत परमेश्वर के लिये पवित्र करे तो तेरा मोल उस के अन्न के समान हो माड़े छः मन जब का मोल पचास शकल चांदी होगा ॥ १७१ यदि वुह प्रानद के बरस से अपना खेत पवित्र करे तो तेरे माल के समान ठहरेगा । १८ । परंतु यदि वुह श्रानंद के पोछे अपने खेत को पवित्र करे तो याजक उन बरसे के समान जो आनंद के बरस लो बच हैं मोल का लेखा करे और तेरे गोल से १६। और जिम ने खेत को पवित्र किया है यदि बुह उसे किसी भांति से छुड़ाया चाहे तो वुह तेरे मोल का पांचवां भाग उस में मिलावे तब बुह उस का हो जायगा ॥ २० । और यदि वुह उस खेन को न छुड़ावे अथवा यदि बुह उस खत को दूसरे के पास बेंचा हो तो बुह फिर कभी छुड़ाया न जायगा । २९१ परंतु जब बुह खेत अानंद के वरम में छूटे नब जैसा सम्पर्ण किया गया खेत वैसा परमेश्वर के लिये पावन होगा और वुह याजक का अधिकार होगा। २२। और कोई खेत जा उम ने मोल लिया है और उस के अधिकार के खेतों में का नहीं है परमेश्वर के लिये पवित्र करे॥ २३। तो याजक अानंद के बरसे। के समान गिनके मेल ठहरावे और वह तेरे ठहराने के समान उस दिन उस का माल परमेश्वर के लिय पवित्र बस्तु के समान देखे। २४। और खेत अानंद के बस में उस के पास फिर जायगा जिला माल लिया गया जिस का बुह भूमि का अधिकार था । २५ । उतना घटाया जाय।।