पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३०६

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गिनती वे कुरह और दातन और अबिराम के संबंधों में से निकल गये और हातन और अबिराम और उन की पत्नियां और बेटे और लड़के निकल के अपने तंबुओं के द्वार पर खड़े हुए। २८ । तब मूसा ने कहा कि तुम इस में जानोगे कि परमेश्वर ने यह कार्य करने को मुझ भेजा है और मैं ने कुछ अपनी इच्छा से नहीं किया ॥ २६ । यदि ये मनुय्य उस मृत्यु से मरे जिस मृत्यु से सब मरते हैं अथवा उन पर कोई विपनि ऐमी होवे जो सब पर होती है तो में ईश्वर का भेजा हुआ नहीं ॥ ३० । पर यदि परमेश्वर कोई नई बात करे और प्रथिबी अपना मुंह फैलाये और उन्हें सब समेत निगल जाये और वे जीते जी नरक में जा पड़े तो तम जान्यिो कि उन लोगों ने परमेश्वर को खिझाया है। ३१ । और यो हुछा कि ज्यांहीं वुह ये मब बाने कह चुका तो उन के नीचे की भमि फटगई ॥ ३२ । फिर पृथिवी ने अपना मह खाला और उन्हें और उन के घर और उन सब मनश्यों को जो कुरह के थे और उन को सब संपत्ति को निगल गई । ३३ । सेो वे और सब जो उन के थे जीते जी नरक में गये और भूमि ने उन्हें छिपा लिया और मंडली के मध्य से नष्ट हे। गये ॥ ३४। और सारे इसराएल जो उन के ग्राम पाम थे उन का चिल्लाना सुन के भागे क्योंकि उन्हों ने कहा न हो कि भूमि हम भी निगल जाय ॥ ३५ । फिर परमेश्वर के आगे से एक आग निकली और उन अढ़ाई से का जिन्हों ने धप जलाया था खा गई॥ ३६। और परमेश्वर ममा से कहके बोला ॥ ३७॥ कि हारून याजक के बटे इलिअज़र से कह कि धूपावरी को आग में से उठा और आग बहीं बखर दे क्योंकि वे तो पवित्र हैं। ३८। और जिन्होंने अपने प्राण के विरोध पाप किया उन की पारियों से चाडे चौड़े पत्र वेदी के ढांपने के लिये बना क्योकि उन्हां ने उन्हें परमेश्वर के आग चढ़ाया दूम लिये वे पवित्र हैं और वे दूसराएल के संतानों के लिये एक चिह्न हांगे ॥ ३६ । उन पीतल की धूपारियों को जिन्हों ने जन्नाया था जो जल गये थे तब इलि अजर याजक ने उन्ह लिया और बदी के लिये चौड़े पब ढांपने के लिये बनाये । ४.कि मर।एन के संतानों के लिय चेत होवे कि काई परदेशी जा हारून के वंश से नहीं परमेश्वर के आगे धूप जलाने को पास न आवे जिसने कुरह और उस