पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३१२

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११। जो कोई गिनती रहेगा। । और कोई पावन मनष्य उस कार को राख को एकट्ठी करे और छावनी के बाहर पवित्र स्थान पर उठा रकवे और वुह दूसराएल के संतानों की मंडली के लिये अलग करने के पानी के लिये होने यह पाप की पवित्रता के लिये है। १.। और जो उस कलोर की राख को समेटता है से अपने कपड़े धावे और मांझ लो अपवित्र रहेगा और यह इसराएल के संतानों के और उन परदेशियों के लिये जो उन में बसते हैं एक बिधि सदा के लिये होवे। जो कोई मनुष्य को लोथ को छूये सेो सान दिन लो अपवित्र रहेगा ॥ १२ । वुह आप को तीसरे दिन उसमे पवित्र करे और सातवें दिन पवित्र होगा पर यदि वह श्राप को तीसरे दिन पवित्र न करे तो सातवें दिन पवित्र न होगा। १३ । जो कोई किसी मनुष्य की लोथ को छूये और आप को पवित्र न करे उस ने परमेश्वर के तंबू को अशुद्ध किया वह प्राणी दूसराएल के संतानों में से कट जायगा इस कारण कि अलग करने का पानी उस पर छिड़का नहीं गया वुह अपवित्र है उम की अपवित्रता अब लो उस पर है॥ १४ । जब मनुष्य तंबू में मरे तब उस की यही व्यवस्था है सब जो तंब में आवे और सब जो तंबू में हैं अशुद्ध होंगे। १५ । और हर एक खुला पान जिस पर दंपना बंधा न होवे अशुद्ध ॥ १६ । और जो कोई तलवार से अरण्य में मारे हुए को अयवा लाथ को अथवा मनथ्य के हाड़ को अथवा समाधि को छूचे सेर सात दिन लो अशुद्ध होयगा ॥ १७। और अशुद्ध को पाप से पवित्र करने के लिये जली हुई कलार की राख लेवे और एक बासन में बहता हुआ पानी उस पर डाले ॥ १८। और एक पवित्र मनुष्य जूफा लेवे और पानी में डुबा के तंबू पर और सारे पात्रों पर और उन मनुष्यों पर जो वहां थे और उस पर जिस ने हाड़ को अथवा जूझ हुए को अथवा मृतक को अथवा समाधि को छुआ हो छिड़के॥ १६। और पवित्र जन तीसरे दिन और सातवें दिन अपवित्र पर छिड़के और फिर सातवें दिन अपने को पवित्र करे और अपने कपड़े धे।वे और पानी में नहावे तब मांझ को पवित्र होगा। २० । परंतु बुह मनुष्य जो अपवित्र होय और श्राप को पवित्र न करे वही मनुष्य मंडली में से सात दिन लो