पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३७७

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११ पर्च से. को पुस्तक । है जिस ने नेरे लिये एके एसे बड़ और भयंकर कार्य किये जिन्हें तू ने अपनी श्रांखो से देखा। २२ । तेरे पिनर सनर जन लेके मिस्र में उतरे और अब परमेश्वर तेरे ईश्वर ने आकाश के नारों के समान तुझे बढ़ाया। ११ ग्यारहवां पर्छ । जन परमेश्वर अपने ईश्वर से प्रेम रख और उस की आज्ञा और बिधि और न्याय और उम को ववन सदा पालन कर॥ २॥ नार नम अज के दिम जान ले ये क्योकि मैं तुम्हारे वंश से नहीं बोलता जिन्हों ने तुम्हारे ईमार की नाइना और उप की महिमा और उस के हाथ का बल और उम को बढ़ाई हुई भुजा न जामा है न देखा है। ३ । और उस के आश्चर्य और उस के कार्य जो उम ने मिस्र के मध्य में और मिस्र के सजा फि ऊन के मध्य में उप्त के समस्त देश में किये। ४। और जो कुछ उस ने मिस्र की सेना के साथ और उन के घोड़ा और उनकी गाड़ियां के माथ किय किम रीति से उत्त ने लाल समुद्र का पानी उन पर उभाड़ा जब उन्हों ने तम्हरापीका किया से परमेश्वर ने उन्हें नष्ट किया आज के दिन लो॥ ५ । और जा कुछ उम ने अरण्य में जब लो कि तुम यहां पहुंचे तुम्हारे साथ किया। ६। बार जो गुप्त ने दागन और अबिराम के साय किया जा सविन के बरे इलिन केर धे कि रोनि से ष्टथिवी ने अपना मुंह खाला और उन्द्र और उन के घराने और उन के तबकों को और समस्त जीवधारियों को जिन्होंने उन का पीछा किया और जाउन के वश में थे समस्त इमराएल के मध्य में उन्हें निगन गई। ७१ कयाकि तुम्हारी यांखां ने परमेश्वर के समस्त महान का जो उम्प ने किय देखे ॥ ८। से तुम उन समस्त था जागों को जो आज मैं तुम्हें कहता हूं पालन फरो जिमन नमबली हाओ और जाके उन देश के जिम के अधिकारी होने के लिये पार जाने हो अधिकारी हो॥ । और जिसने तुम उस देश पर अपना जीवन बढ़ा यो जिम के कारण परमेश्वर ने तुम्हारे पितरों से किरिया खाके कहा कि में उन्ह और उन के 4श का द कगा बुह देश जिस में दूध और मधु बहता है। १०। क्योंकि वुह देश जिस का तू अधिकारी होने जाता है मिस्त्र के समान नहीं जहां से तुम [A. B. S.)