पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४२३

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३२ पर्य] को पुस्तक । ४१५ पर का कठिन बिष ॥ ३४ । क्या यह मुझ पास घरा नहीं और मेरे भंडारों में बंद नहीं। ३५ । प्रतिफल और दण्ड देना मेरा है रन का पांव समय पर फिस लेगा क्योंकि उन की बिपत्ति का दिन आ पहुंचा और जन जो बस्तु आती है सोशीन करती है। ३६ । जव वुह देखेगा कि सामर्थ्य जाती रही और कोई, बन्द अथवा छटा नहीं है जब परमेश्वर अपने लोगों का न्याय करेगा और अपने सेधकों के लिये पछता. वेगा। ३७। और कहेगा कि उन के देवगण पहाड़ जिन का उन्हें भरोसा था क्या हुये। ३८। जिन्हों ने उन के बलिदान की चिकनाई खाई और पीने को भेंट की मदिरा पोई वे उठे और तुम्हारा बचाव करें और सहायक हावें ॥ ३६ । अब देखा कि में मैं ही हूं और कोई ईश्वर मेरा साथी नहीं मैं ही मारता हूं और मैं ही जिलाता हूं मैं घायल करता हूं और मैं हो चंगा करता हूं ऐसा कोई नहीं जा मेरे हाथ से छुड़ावे ॥ ४.। क्योंकि मैं अपना हाथ खर्ग की ओर उठाता हूं और कहता हूं कि मैं सनातन जौवता ॥ ४१ यदि में अपना चमकता हुआ खग चोखा करूं और मेरा हाथ न्याय धारण करे तो मैं अपने शत्रुन से प्रति फल लंगा और जो मुझ से बैर रखते हैं उन्हें पलटा ढुंगा ॥ ४२ । मारे हुओं को और बंधुयों के लोह से चौर शत्रु पर पलटा लेने के प्रारंभ से मैं अपने बाणों को रुधिर से उन्मत्त करूंगा और मेरी तलवार मांस खायगी। ४३। हे जानिगणे टस के लोगों के साथ अानन्द से गाना क्योंकि वुह अपने सेवकों के लोह का पलटा और अपने शत्रुन से प्रतिफल लेगा अपने देश और अपने लोगों पर ट्याल होगा । और नून के बेटे यहूसूत्र ने आके इस गीत को सारी बातें लोगों को कह सुनाई ॥ ४५ । और जब मूसा ये सारी बातें इसराएल के सन्तानों को कह चुका॥ ४६। तब उस ने उन्हें कहा कि इन सारी बातों से जिन की मैं आज के दिन राम्हों में साक्षी देता 'हं अपने मन लगाओ और अपने बालकों को कहा कि पालन करके इस व्यवस्था की मारी बातों को माने। ४७। क्योंकि वुह तुम्हारे लिये सृथा नहीं इस कारण कि तुम्हारा जीवन है और इसी बात के लिये इस देश में जिस के अधिकारी होने तुम यरहन पार जाने हे। अपनी वायुदाय बढ़ायोग। ४८। और ४४। तब मसा