पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४४७

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प की पुस्तक । ४३४ इस लिये हम ने तुम्हारे कारण अपने प्राणों के डरके लिय यह काम किया ॥ २५ । और अव देख हम तेरे वश में हैं जो कुछ तुझे हमारे लिये भला और ठोक जान पड़े से कर ॥ २६ । और उस ने उन से वैसा ही किया और इसराएल के संतान के हाथ से उन्हें बचाया कि उन्हें डालें २७। और यहसूत्र ने उन्हें उसी दिन मंडली के लिये और परमेश्वर की बेदी के लिये उस स्थान में जिसे वुह चुनेगा लकड़हारे और पनिहारे ठहराये। भारन ॥ और १. दसवां पर्व । भर जब यरूसलम के राजा अनीमिदक ने सुना कि यहअ ने किम रीनि से अई को ले लिया और उसे सर्वथा नाश किया जैसा उस ने यह और उस के राजा से किया था वैसा ही उस ने अई और उस के राजा से किया और किस रीति से जिवजन के वासियों ने इसराएल से मिलाप किया और उन में रहे ॥ २। तब वे निपट डर गये इस कारण कि जियऊन एक बड़ा नगर घा और राज नगरों के समान था और इस कारण कि बुह श्रई से भी बड़ा था और वहां के लोग बली थे॥ ३। नव यरूसलम के राजा अढूनोनिदक ने हवरून के राजा हहाम और यरमूत के राजा पिराम और लकीम के राजा यफी और इजलन के राजा दयौर के पास कहला भेजा। ४ । कि मुझ पास चढ़ आओ और मेरी सहायता करो जिसतं हम जिवजन को मार क्योंकि उस ने यहूसू और इसराएल के सतानों से मिलाप किया॥ ५ । इम लिये अमरिया के पांच राजा अर्थात् यरूसलम का राजा हवरून का राजा यस्मत का राजा तकौम का राजा इजलून का राजा एकट्टे होके अपनी अपनी सेनाओं को लेके जिबऊन के आगे डरे खड़े किये और उसो लड़ाई किई। ६ । नव जिवजन के लोगों ने यहचपके पाम जो जिलजाल में डेरा किया था कहला भेजा कि अपने सेवकों से अपना हाथ मत बैंच हम पास शीघ्न भाइये और हमें बचाइये और हमारी सहायता कोजिये क्योंकि अमरियों के मारे राजा जो पहाड़ में रहते हैं हमारे विरोध में एकटे हुए हैं ।