पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/४६

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m "ur उत्पत्ति [२१ पब और ४। २१ इक्कीसवां पर्च। पर अपनं कहने के समान परमेम्वर ने सरः से भट किया और अपने बच्चन के समानपरमेश्वर ने सर के विषय में किया। २। क्योंकि सरः गर्भिणी हुई और अविरहाम के लिये उस के बुढ़ापे में ठीक उसी समय में जो ईश्वर ने उसे कहा था एक बेटा जनी । ३। और अविरहाम ने अपने बेटे का नाम जिसे मरः उस के लिये जनौ श्री ईजहाक और ईश्वर की आज्ञा के समान अविरहाम ने आठवें दिन अपने बेटे इजहाक का खतनः किया ॥ ५। जब उस का बेटा इजहाक उससे उत्पन्न हुआ तब अबिरहाम सौ बरस का वृद्ध था॥ ६॥ लव मरः बोलो को ईश्वर ने मुझे हमाया सारे सुनवैये मेरे लिये हसेंगे। ७। फिर बुह वाली कि कौन अविरहाम से कहता कि सरः बालक को दूध पिलावेगी क्योंकि उस के बुढ़ापे में मैं उस के लिये बेटा जनौ ॥ ८। और बुह लड़का बढ़ा और उस का दूध छुड़ाया गया और इज़हाक के दूध छुड़ाने के दिन अविरहाम ने बड़ा जेवनार किया । हा और सरः ने मिस्री हाजिरः के बेटे को जिसे वह अबिरहाम के लिये जनी चौ चिढ़ाते देखा ॥ १० । उस ने अबिरहाम से कहा कि श्राप इस लौडौ को और उस के बेटे को निकाल दीजिये क्योंकि यह लाँडी का बेटा मेरे बेटे इजहाक के साथ अधिकारी न होगा । ११ । और अपने बेटे के लिये यह बान अबिरहाम को बड़ी कड़वी लगी॥ १२। तब ईश्वर ने अबिरहाम से कहा कि लड़के के और तेरी लौंडी के विषय में तुझे कड़वौ न लगे सब जो सरः ने तुझे कहा मान ले क्योंकि तेरा वंश इज़हाक से गिना जायगर॥ १३। और मैं उस लौडी के बेटे से भी एक जाति उत्पन्न करूंगा क्योंकि वुह तेरा वंश है ॥ १४। तव अविरहाम ने बड़े तड़के उठके रोटी और एक कुप्पे में पानी लिया और हाजिरः के कंधे पर धर दिया और लड़के को भी उसे सांप के उसे विदा किया बुह चल निकली और विअरसबः के बन में चमतौ फिरी। १५ । और जब कुप्पे का पानी चुक गया तब उस ने उस लड़के को एक झाड़ी के तले डाल दिया ॥ १६। और आप उम के