पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५४९

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भ पर्व १ पुस्तका लड़ाई किई और इसराएल मारे गये और हर एक पुरुष अपने अपने नंबू को भागा और वहां बड़ा जूझ हुअा क्योंकि तीस सहन इसराएल के पैदल मारे गये ।। ११ । और ईश्वर की मंजुषा लिई गई और एली के दोनों बेटे हफनी और फीनिहास जूझ गये॥ १२। और बिनयमोन का एक जन सेना से दौड़ा और कपड़े फाड़े हुए और सिर पर धूल डाले हुए उसी दिन सैला में आया। १३। और जब वह पहुंचा तब देखो एनी एक आसन पर मार्ग के लग बैठ के बाट जोह रहा था क्योंकि ईश्वर की मंजूषा के लिये उन का मन घथैरा रहा था और जब उस जन ने नगर में पहुंच के संदेश दिया तब मारे नगर में रोना पीटना हुआ। १४। और जब एली ने रोने का शब्द सुना तब उस ने कहा कि इस हौरे के शब्द का कारण क्या बुह जन झप आ पहुंचा और एली को कहा।। १५ । अव एली अट्ठानवे बरम का वृड्व था और उस की आंखें धुंधली धौं और बुह देख न सका था॥ १६ । सो उस जन ने एली से कहा कि में सेना से आज भाग आया हूं और वहीं हूं जो सेना से निकला हं वह वाला हे बेटे क्या समाचार है॥ १७। उम दूत ने उत्तर देके कहा कि इसराइल फिलिस्तियों के आगे भाग गये और लोगों में बड़ा जूझ हुआ और तेरे दोनों बेटे भी हफनी और फीनिहास मर गये हैं और ईश्वर की मंजषा लिई गई। १८। और यो हुआ कि जब उस ने एली. से ईश्वर की मंजूषा का नाम लिया बुह आसन पर से फाटक के लग पिछले बन्न गिरा और उस का गला टूट गया और मर गया क्योंकि बुह छड्स और भारी था और उस ने चालीस बरस इसराएल का न्याय किया । और उस को बहू फोनिहाम की पत्नी गर्भिणो थी और उस के जन्न का समय समीप था जब उस ने यह संदेश सुना कि ईश्वर की मंजूघा लिई गई और उस का सम्र और पति मर गये तब वुह भ क गई और जन पड़ी क्योंकि उस की पीड़ा श्रान पहुंची॥ २० । और उस के मरते मरने उन स्त्रियों ने जो उस पास खड़ी थीं उसे कहा कि मत डर क्योंकि तू बेटा जनी है परंतु उस ने उनर न दिया न सुरत लगाई. ॥ २१ । और उस ने यह कहके उस बालक का नाम दूकाबाद रक्खा और बोली कि विभव सराएल में से जाता रहा दूम लिये कि परमेश्वर को मंजूषा लिई गई और उस के समर और उस