पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५६४

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समूएन [२३ पन्च मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं और बुह गर्जन और में भेजेगा जिसमें तुम बूझो बार देखा कि राजा के मांगने से तुम्हारी दुष्टता बड़ी है जो तुम ने परमेश्वर की दृष्टि में किई॥ १८ । सो समूएल ने परमेश्वर से प्रार्थना किई और परमेश्वर ने उसी दिन गर्जन और मेह भेजा नब सारे लोग परमेश्वर से और समूगल से निपट डर गये ॥ १६ । और सारे नोगों ने समूएल से कहा कि अपने दासों के लिये परमेश्वर अपने ईश्वर की प्रार्थना कीजिये कि हम न मरें क्योंकि हम ने अपने सारे पापों से यह बराई अधिक किई कि अपने लिये एक राजा मांगा। २० तव समूएल ने लोगों को कहा कि मत डरो यह सब दुष्टता तुम ने किई है जिस पर भी परमेश्वर के पीछे पीके जाने से अलग न होगा परंत अपने मारे अंत:- करण से परमेश्वर की सेवा करो। २१। और स्था का पीछा करने को अलग मत होगी जिन में लाभ और मुक्ति नहीं क्योंकि वे व्यर्थ हैं ॥ २२ ॥ क्योंकि परमेश्वर अपने महत् नाम के लिये अपने लोग को छोड़ न देगा इम कारण परमेश्वर को इच्छा हुई कि तुम्हें अपने लेग बनाये ॥ २३ । और ईश्वर न करे कि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करने में थम जाऊं और . परमेश्वर के विरुद्ध पापी होऊं परंत मैं वुह मार्ग जा अच्छा और सीधा है तुम्हें सिखाऊंगा॥ २४ । केवल परमेश्वर से डरो और अपने सारे मन में और सच्चाई से उन की सेवा करो और सोचा कि उस ने तुम्हारे निये कैसा बड़ा काम किया है। २५ : परंतु यदि तुम २५. परंतु यदि तुम अब भी दुष्टता करोगे तो तुम और तुम्हारा राजा नाश हो जाओगे। १३ तेरहवां पर्ज ॥ काजल ने एक बरम राज्य किया और जब बुह इसराएल पर दो बरस राज्य कर चुका॥ २। लब साऊल ने तीन सहस इसराएलियों को अपने लिये चुना दो सहस्र उम के साथ मिकमाम में और बैतऐल पहाड़ में थे और एक सहन यमतन के साथ विनयमोन के जिवियत में थे और उबरेङयों को उस ने चिदा किया कि अपने अपने डरे को जायें। ३। और यूननन ने फिलिस्तियों के थाने को जो जिवित्रः में था मारा और फिलिस्तियों ने सुना और साजल ने सारे देश में यह कहके