पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७८

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[१७ पर्च सम्एल ३२ । और दाऊद ने माऊल से कहा कि उस के कारण किसौ का मन न घटे तेरा दाम जाके उस फिलिस्ती से लड़ेगा। ३३ । तब साजल ने दाजद से कहा कि तभ में यह सामर्थ्य नहीं कि उस फिलिस्ली से लड़े क्योंकि तू लडका है और वह लड़कपन से योद्दा है॥ ३४। तब दाऊद ने माजन से कहा कि तेरा सेवक अपने पिता को भेड़ों की रखवाली करता था और एक सिंह और एक भान निकला और झंड में से एक मेना ले गया॥ ३५ । और मैं ने उम के पीछे निकल के उसे मारा और उसे उस के मुंह से छुड़ाया और जब वुह मुझ पर झपटा नब मैं ने उस कौ दाढ़ पकड़ के उसे मारा और नाश किया॥ ३६॥ तेरे सेवक ने उस सिंह और भालू दोनों को मार डाला फेर यह अखतनः फिलिस्ती उन में से एक के समान होगा कि उम ने जीवते ईश्वर की सेना को तुच्छ जाना। ३८ । और दाजद ने यह भी कहा कि जिस परमेश्वर ने मुझे सिंह के और भान्त के पंज से बचाया बहो मुभा उस फिनिस्ती के हाथ से बचावेगा नव साजन ने दाऊद से कहा कि जा और परमेश्वर तेरे साथ होवे । १। चार साजल ने अपना वस्त्र दाजद को पहिनाया और पीतल का एकटेप उम के सिर पर रफला और उसे झिलम भौ पहिनाई॥ ३९ । और दाऊद ने अपनी तलवार झिलम पर लटकाई और जाने का मन किया क्योंकि उस ने उसे न जांचा या नव दाजद ने साजन से कहा कि दून से में नहीं जा सक्ता क्योंकि मैं ने इन्हें नहीं परखा तब दाऊद ने उन्हें उतार दिया॥४० । और उस ने अपना लट्ट हाथ में लिया और नाले में से पांच चिकने पन्थ र चुन लिये और उन्हें अपने गड़रिया के पात्र में अर्थात् कोले में रक्दा और अपना ढिसयांस अपने हाथ में लिया और उस फिलिस्ती को और बढ़ा। ४१ । और फिलिस्तौ चला और दाजद के निकट माने लगा और जा जन उम को ढाल उठाता था से उस के आगे ४२ । और जब उस फिलिस्ती ने इधर उधर ताका तब, दाऊद को देखा और उसे तुच्छ जाना क्योंकि बुह तरुण लाल और मुंदर रूप था। १३ । और फिलिस्ती ने दाऊद से कहा कि क्या मैं ककर जा तू न लेके मझ पास पाता है और फिलिस्ती ने अपने दवता के नाम से उसे प्रिकारा। ४४ । और फिलिस्ती ने हाकर अाग गया ।