पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५७९

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की १ पुका १७ पर्च कहा कि मुझ पास था और में तेरा भास आकाश के पक्षियों को और बनैले पशुओं को दे ऊंगा। ४५। तब दाऊद ने उस फिलिस्ती का कहा कि तू तलवार और अरका और ढाल लेके मुझ पर आता है परम् मैं सेना के परमेश्वर के नाम से जो इसराएल के सेना का ईश्वर है जिस को न ने निंदा किई है तभा पास पाता हूं ॥ ४६ । अाज ही परमेश्वर तुझे मेरे मेरे हाथ में सौप दगा और मैं तम मार लंगा और तेरा सिर तुझ से अलग करूंगा और मैं अाज फिलिस्तियों की सेना की लोथों को आकाश के पक्षियों को और बनैले पश्यों को देऊंगा जिसते समस्त पृथिवी जाने कि इसराएल में एक ईश्वर है। ५। और यह समस्त मंडली जानेगी कि परमेनार तलवार और भाले से नहीं बचाता क्योंकि संग्राम परमेश्वर का है और वही तुम्हे हमारे हाथों में सौंप देगा। ४८। और ऐसा हुआ कि जब फिलिस्ती उठा और दाजद पास पहुंचने को आगे बढ़ा तब दाऊद ने चालाको किई और सेना की और फिलिस्ती पर पहुंचने दौडा॥ ४६। और दाऊद ने अपने थैले में हाथ डाला और उस में से एक पत्थर लिया और ढलयांम से उस फिलिस्ती के माथे पर मारा और वुह पन्यर उस के माथे में गड़ गया और वुह भूमि पर मुंह के बल गिरा॥ से दाऊद ने और ढलवांस से उस फिलिस्तो को जोता और उसे मारा और घात किया परंतु दाजद के हाथ में तलवार न यो ।। ५.१ । इस लिये दाऊद लपक के फिलिस्ती के निकट आया और उस की तलवार लेके काठी से खौंची और उसे नाश किया और उसी से उस का मिर उतारा और जब फिलिस्तियों ने देखा कि हमारा सूरमा मारा गया नब वे भाग निकले। ५२। और दूसराएल के और यहूदाह के लेाग उठे और ललकारे और अकरून के फाटक ले और तराई लो फिलिलियों को रगेदा और मारा और फिलिस्तियां के घायल मगरीम अर्थात् जगत जम ५३। तब इमराएल के संतान फिलिस्तियों के खदने से फिर आये और उन के संबयों का लट लिया। ५४। और दाजद उम फिलिस्ती का सिर लेके यरूसलम में आया परंतु अपने हथियारों को तंबू में रक्खा ॥ ५५ । और जब माऊल ने एक पत्थर और अकरून गये ।