पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८२

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५७४ [१६ पर्छ समरन से प्रसन्न है और उस के मारे सेबक तुझे चाहते हैं और अब तू राजा का जवाई हो॥ २३। सेा साऊल के सेवकों ने ये बातें दाऊद से कह सुनाई दाऊद बोला कि तुम राजा का जयाई हाना कोटा समझते हो मैं तो कंगाल होके तुच्छ गिना जाता हूं ॥ २४ । और साऊल के सेवकों ने बातों के समान उसे कहा ॥ २५ । तब माऊल ने कहा कि तुम दाऊद से यो कहियो को राजा कुछ दाएजा नहीं चाहता परंतु केवल एक सा फिलिस्तियों की खतड़ियां जिसने राजा के बैरियां से पत्तरा लिया जाय परंतु साऊल ने चाहा कि दाऊद को फिलिम्तियों से मरवा डाले ॥ २६ । और जब उस के सेवकों ने इन बातों को दाजद से कहा तब राजा का जवाई होना दाजद को अच्छा लगा और दिन बीत न गय थे॥ २७॥ और दाजद उठा और अपने लोगों को ले के गया और दो सौ फिलिस्ती को मारा और दाऊद उन की खलड़ियों को लाया और उन्हों ने उन्हू राजा के आगे पूरा गिन के धर दिया जिसने वुह राजा का जबाई होने और साऊल ने अपनी बेटी मौकल उसे बियाह दिई । २८। और जव साऊल ने देखा और जाना कि परमेश्वर दाजद के साथ है और माऊल की बेटी मीकल उसे प्रीति रखती है। २६। तब साऊल दाजद से अधिक डर गया और माजत सदा दाजद का बैरी रहा ॥ ३। तब फिलिस्तियों के प्रधान निकले और उन के निकलने के पीछे यो हुआ कि दाऊद साजन के मारे सेवको से अधिक चौकमो करता था यहां ले कि उस का बड़ा नाम हुया। १८ उन्नीसवां पर्व । -ब साऊल ने अपने बेट यहनतन से और अपने समस्त सेवकों से कहा कि दाजद को मार लेग्रो ॥ २। परंतु साऊत्न का बेटा यहूनतन दाऊद से अति प्रसन्न था और यहूनान दाजद से कह के बोला कि मेरा पिता तुझे बधन करने चाहता है से अब बिहान लो अपनी चौकसी करियो और गुप्त स्थान में छिप रहियो । ३। और मैं जाके चौगान में जहां तू होगा अपने पिता के पास खड़ा हूंगा और अपने पिता से नेरी चर्चा करूंगा और जो मैं देखूगा से तुम कह दगा।