पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५८८

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[२१ पब समाल चूमा और परस्पर यहां तो बिलाप किये कि दाऊद ने जीता ॥ ४२। और यहननन ने दाऊद को कहा कि कुशल से चला जा और उस वाचा पर जो हम ने किरिया खाके आपस में किई है मेरे तेरे मध्य में और हमारे बंश के मध्य में सदा ले परमेश्वर मादी होबे से बुह उठ के चत्ता गया और यहूनतन नगर में पाया । २५ एकीसवां पर्च। 'ब दाजद भूब को अखिमलिक याजक पास आया और अखिमन्तिक दाजद की भेंट करने से डरा और बोला कि तू क्यों अकेला है और तेरे साथ कोई नहीं ।। २ । और दाजद ने अखिमलिक याजक से कहा कि राजा ने मुझे एक काम को भेजा है और कहा है कि यह काम जो मैं ने तुझे कहा है किसी को मत जनाइया और में ने सेवकों को अनुक स्थान को भेज दिया है॥ ३। से अब तेरे हाथ तले क्या है मुझे पांच रोटी अथवा जो कुछ धरा हो सो मेरे हाथ में दीजिये। ४। और याजक ने दाजद को कहा कि मेरे हाथ तले सामान्य रोटी नहीं परंतु पवित्र रोटी है यदि नरुण लोग स्त्रियों से अलग रहे हो ॥ ५ । नब दाजद ने उत्तर देके याजक को कहा कि निश्चय तीन दिन हुए होंगे जब से मैं निकला हंस्त्रौ हम से अलग है और तरुणों के पाव पवित्र हैं और यद्यपि रोटी आज पात्र में पवित्र किई गई हो नयापि सामान्य के है। ६ । सो याजक ने पवित्र किई गई रोटी उसे दिई ज्योकि भेंट की रोटी को छोड़ वहां कोई रोटी न थी जो परमेश्वर के आगे से उठाई गई थी जिसने उम की संती वहाँ तातो रोटी रकली आवे ॥ । अब उस दौन साल के सेवकों में से एक जन अदमी परमेश्वर के आगे रोका गया था जिस का नाम दोयेग था वुह साजल के अहीरो का प्रधान था। ८। फिर दाऊद ने अखिमलिक से पछा कि यहां तेरे हाथ तले कोई भाला अथवा खङ्ग तो नहीं क्योंकि मैं अपनी तलवार अथवा हथियार साथ नहीं लाया हूं इस कारण कि राजा के काम की शीघता थी॥ ६। तब याजक ने कहा कि फिलिस्ती जुलिअत का खज जिसे तू ने ईला को तराई में मारा एक कपड़े में लपेटा हुअा अफूट के पौके घरा है यदि तू उसे लिया चाहे तो