पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/५९६

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५८ [२५ पर्च जोर था। ने अरण्य २५ पचौमको पद। पर समूएल मर गया और समस्त दूसराएलियों ने एकट्टे होके उम पर बिलाप किया और रामान में उस के घर में उसे गाड़ा और दाजद उठ के फारान के अरषय में उतर गया । २। और वहां मकन में एक पुरुष था जिस की संपनि कर मिल में थी वुह महाजन था और उम्र के नौन सहस्र भेड़ और एक सहस्र बकरी थी और वुह अपनी भेड़ों का रोम करमिल में कतरता था । ३। और रम का नाम नवाल और उस की स्त्री का नाम अबिनेल था वह स्त्री बुद्धिमानी और सुंदरी थी परंतु वुह पुरुष कठोर और कुकभी था और कालिब के बंश के घराने में से ४ा और दाऊद में कि नबाल भेड़ो के रोम कतरना है ॥ ५। तब दाऊद ने इस तरुण भेजे और उन्हें कहा कि नवाल पास करमिल को चढ़ जाये और गेरे नाम से उस का कुशल पूछो। ६। और उस भरे परे जन से कहियो कि तुझ पर कुशन्न घर पर कुशल और तेरी समस्त बस्तु पर कुशल होवे ॥ ७। मैं ने अब मुना है कि तुम पास रोम कतरवैये हैं और तेरे गड़रिये हमारे संग थे और हम ने उन्हें दुःख न दिया और जब 'नो वे करमिल में हमारे साथ थे उन का कुछ जाता न रहा। तू अपने तरूणों से पूछ कहेंगे इस लिये तरुण सोम तेरीष्टि में अनुग्रह पावें क्योंकि हम अच्छे दिन में आये हैं सो मैं तेरी बिनती करता हूं कि जर तेरे हाथ श्राचे सो तेरे मेवकों और अपने बेटे दाजद को दीजिये॥ । चैार दाजद के तरुण ने आके नबाल को दाऊद का नाम लेके उन मारी बातो के समान कहा और चुप हो रहे। १.। तब नवाल ने दाजद के सेधको को उत्तर देके कहा कि दाऊद कौन और सस्ती का बेटा कान इन दिनों में बहुत सेवक हैं जो अपने स्वामियों से भाग निकलते हैं। ११ । क्या अपनी रोटी और पानी और माम जो मैं ने अपने कतरवैयों के लिय मारा है लेके उन मनुष्यों को देऊ जिन्ह मैं नहीं जानता कि कहां से हैं। १२। सेो दाजद के तरूणां ने अपना मार्गलिया और आके उन सब बातों को उसे कहा। १३ । नब दाजद ने अपने लोगों से कहा कि हर और वे तुझे