पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६००

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[२६ पर्व ४। इस समएल सहस चुने हुए इसराएली लेके जैफ के अरण्य में उतरा कि दाऊद को जैफ के अरण्य में ठंडे ॥ ३। और हकौलः के पहाड़ में जो यसीमून के आगे है मार्ग की और डेरा किया परंतु दाजद अरण्य में रहा और उस ने देखा कि साऊल उस का पीछा किये हुए अरण्य में आया । लिये दाऊद ने भेदिये भेजे और बझ लिया कि साजन मुच मुच पाया है। ५। तब दाऊद उठ के माऊल के डरा को चला और दाऊद ने उस स्थान को देख रखा जहां माकन पड़ा था और नैयिर का बेटा अबिनयिर उस की सेना का प्रधान या और साजल खाई में सोता था और उस के लोग उस के चारों ओर डेरा किये थे॥ ६। तब दाऊद ने हिनी अखिमलक और ज़ख्याह के बेटे अयिश को जो यूअब का भाई था कश कि कान मेरे साथ छावनी में साफल पाम चलेगा और अविशै बान्ता कि मैं आप के साथ उतरूंगा। ७। सेो दाऊद और अबिशै रात को सेना में घुसे और क्या देखने हैं कि साऊल खाई के भीतर सोता है और उस का भाला उम के सिरहाने भूमि में गड़ा था परंतु अबिनै यिर और उस के लोग चारों और सोते थे। ८। उसी समय अबिशे ने दाऊद से कहा कि ईश्वर ने आज श्राप के शत्रु को प्राप के हाथ में कर दिया अब इस लिये मुझे भाले से एक ही बार मार के भूमि में उसे गोट्ने दीजिये और दूसरी बार न मारूंगा। । तब दाजद ने अविशे से कहा कि उसे नाश न कर क्योंकि कौन परमेश्वर के अभिषिक्त घर हाथ बढ़ा के निर्देष ठहर सके ॥ १.। और दाजद ने यह भी कहा कि परमेश्वर के जीवन से परमेश्वर उमे मारेमा अथवा उस का दिन श्रावेगा और वुह मर जायगा अथवा युद्ध पर उतरेगा और मारा जायगा। ११ । परमेश्वर न करे कि मैं परमेश्वर के अभिषिक्त पर हाथ बढ़ाऊं पर तू उस के सिरहाने के भाले को चार पानी की झारी को ले लेना और हम चल निकले। १२ । सो दाजद ने भाला और पानी की भारी साजल के सिरहाने से ले लिई और चल निकले और किसी ने न देखा और न जना और कोई न जागा क्योंकि सब के सब सोते थे इम कारण कि परमेश्वर की ओर से भारी निद्रा उन पर पड़ी थी। १३ । सब दाजद दूसरी ओर गया और एक पहाड़ की चोटी पर