पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६०५

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२८ प] अति व्याकुल की। पतक। इसराएली सेना को भी फिलिस्तियां के हाथ में मोपेगा॥ २० तब साऊल तुरंत भूमि पर गिरा और समूएल की बातों से बहुत डर गया और उम में कुछ सामर्थ्य न रहो क्योंकि उस ने दिन भर और रात नर रोटी न खाई थी। २१ । तब वुह स्त्री माऊन पास आई और देखा कि तब उस ने उसे कहा कि देख श्राप को दासी ने आप का शब्द सुना और मैं ने अपना प्राण अपनी हथेली पर रक्खा और जो कुछ आप ने मझे कहा मैं ने उसे माना । २२। सेो अब आप भी रुपा करके अपनी दासी की बात सुनिये और मुझे अपने आगे एक ग्रास रोटी धरने दिजिये और खाइय जिसने आप को इतनी सामर्थ्य हो कि अपने मागे जाइये । २३ । पर उस ने न माना और कहा कि मैं न खाऊंगा परंतु उस के दामों ने उस स्त्री सहित उसे बरबस खिलाया और उस ने उन का कहा माना और भूमि पर से उठा और खाट पर बैटा ॥ २४ । और उस स्त्री के घर में एक मोरा बछड़ा था से उस ने चटक किया और उसे मारा और पिसान लेके गूंधा और उसमे अखमीरी रोटियां पकाई। २५। और माऊल और उस के सेवकों के आगे लाई और उन्हों ने खाया और बठे और उसी रात बहां से चले गये २६ उनीसवां पर्व । फिलिस्ती कौ नब सेना अफोक में एकट्ठी हुई और दूसराएली यजरअएल के सोते के पास डेरा किये हुए थे। २। और फिलिस्तियों के अध्यक्ष सैकड़ों सैकड़ो और सहस सहस्र आगे बढ़ने गये परंतु दाऊद और उस के लोग अकौश के पौछे पीछे गये॥ ३॥ तव फिलिस्तियों के अध्यक्षों ने कहा कि इन इबरानियों का क्या काम और अकौश ने फिलिस्ती अध्यक्षों को कहा कि क्या यह दूसराएल के राजा माऊल का सेवक दाऊद नहीं जो इतने दिनों और इतने बरसों से मेरे माथ है और जब से वुह मुझ पास आया है आज लो उस में कुछ दोष नहीं पाया ॥ ४। तब फिलिस्तियों के अध्यक्ष उसो क्रुद्ध हुए और उन्हों ने उसे कहा कि दूम जन को यहां से फेर दे जिसमें वुह अपने