पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पिर ममूएल [६ पर्व तू तूत के पेड़ों के ऊपर जाने का शब्द सुने तो अाप को चौकम कर क्योंकि तब परमेश्वर नेरे आगे आगे चलेगा कि फिलिस्तियों की सेना को मारे। २५ । और जैसी कि परमेश्वर ने उसे आज्ञा किई थी दाऊद ने वैसा ही किया और फिलिस्तियों को जिब से लेके जज़र ला मारा। ६ छठवां पई। -फर दाऊद ने इसराएल में से तीस सहस चुने हुओं को एकट्ठा किया॥ २। और दाऊद सारे लोगों को लेके यहूदाह के बअली से चला कि वहां से ईश्वर की मंजधाको लावे जिस का नाम सेनाओं का परमेश्वर कहाता है जो करीबियों में रहता है॥ ३ । और उन्हों ने ईश्वर की मंजूषा को नई गाड़ी पर धराया और उसे अविनदाय के घर से जो जिवना में या निकाल लाये और उस नई गाड़ी को अविनदाब के बेटों ने जो उज्जः और अखयू थे हांका॥ ४ । और वे अविनदाय के घर से जो जिबन में था उसे निकास खाये और ईश्वर की मंजूषा के साथ साथ गये और अखयू मंजूषा के प्रागे भागे चला॥ ५ । और दाजद और इसराएल के सारे घराने देवदार की लकड़ी के सब भांति के बाजे जैसे कि बीणा और सारंगियां चौर तबले और तंबूरे और झांझा लेके परमेश्वर के अागे अागे बजाने चले।। ६ । और जब वे नकुन के खलिहान पर पहुंचे तब उज्जा ने हाथ बढ़ा के ईश्वर की मंजूधा को थाम बिया क्योंकि बैत ने उसे हिलाया था। ७। तब परमेश्वर का क्रोध उज्जः पर भड़का और ईश्वर ने उसे उस की ढिठाई के कारण मारा चौर वह ईश्वर को मंजूषा के लग मर गया॥ ८। और इस कारण कि परमेश्वर ने उज्जः पर दरार किया दाजद उदास हुआ और उस ने उस स्थान का नाम आज लो परज़ उज्जा का दरार रखा। और दाऊद उस दिन परमेश्वर से डरा और बोला कि परमेश्वर की मंजूषा मुझ पास क्योंकर आवेगी॥ १०॥ और दाजद ने न चाहा कि परमेश्वर की मंजषा को अपने नगर में ले जाके अपने पास रक्से परंतु हाजन उसे एक अलंग आबिदण्डम गादी के घर ले गया ॥ १९॥ और परमेम्वर को मंजघा आबिदएटूम गादी के घर में तीन मास लों रही और परमेश्वर ने अाविद