पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६४४

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और क्या भएन दाजद से कहा कि अखिनुफझल भी अबिसलुम के गुटकारियों में है सब दाऊद ने कहा कि हे परमेश्वर तेरौ बिनती करता हूं कि अखिनुफपाल के मंत्र को मढ़ता की संनी पलट दे ॥ ३२ । और ऐसा हुआ कि जब दाजद चाटौ पर पहुंचा जहां उस ने ईश्वर की पूजा किई नो सौ अरको अपना बन्द फाड़े हुए और अपने सिर पर धल डाले उस्म भेंट करने को आया ॥ ३३ । तब दाऊद ने उसे कहा कि यदि त मेरे साघ पार उतरेगा तो मुझ पर भार होगा ॥ ३४। परंतु यदि तू नगर में फिर जाय और अविमलम से कहे कि हे राजा मैं तेरा सेवक हंगा मैं अब तो तेरे पिता का सेवक था उसी रीति देश भी सेवक हंगा तब तु मेरे कारण से अखिनुफ्फल के मंत्र को भंग कर सका है। ३५ । तेरे माथ सदूक और अबिवतर याजक नहीं हैं से ऐसा होवे कि जो कुछ तू राजा के घर में सुने से। सहक र अबियतर याजकर से कह दे॥ ३६ । देख उन के साथ उन के दो बेट अखिम अज़ सद्रूक क और यहूनतन अवियतर के बेटे हैं और जो कुछ तुम सुन सका से उन के द्वारा से मुझ कहला भेजे॥ ३७ । से दाजद का मित्र हूसी नगर को श्रायर और अबिसलुम भी यरूसलम में पहुंचा। १६ सोलहवां पब्बे पर जब दाजद चोरी पर से तनिक पार गया तब देखा कि मिफ्रि- बूसत का सेवक सौबा दो गदहे काठो कसे हुए जिन पर दो से रोटी और दाख के एक सौ गुच्छे और अंजौर के फल के सौ गुच्छ एक कुप्पा मदिरा का लदा हुअा था उसे मिला॥ २। और राजा ने सौत्रा के कहा कि इन बस्तन से तुम्हारा क्या अभिप्राय है तब सौवा बाला कि ये गदहे राजा के घराने के बढ़ने के लिये और रारियां और अंजीर फल तरुणों के भोजन के लियं और यह मदिरा उन के लिये जो अर एय में थके हुए हां॥ ३। 'लव राजा ने कहा कि मेरे स्वामी का बेटा कहां है मीबा ने राजा से कहा कि देखिये बुह यरूसलम में ठहरा है क्योंकि उस ने कहा है कि आज इसराएल के घराने मेरे पिता का राज्य मुझ फर ४। तब राजा ने सोचा से कहा कि देख मिफिवसन का सब कुछ ॥ जो The