पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/६५१

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कौ २ पुस्तक ६४३ लाता है। १८ पच्च] धरा नहीं ॥ २३ । परंतु जो होय में दौड़ता हूं तब उम ने कहा कि दौड़ तब अखिमअज ने चौगान का मार्ग लिया और कशी से श्रागे बढ़ गया। २४। और दाऊद दो फाटकों के बीच बैठा था और पहरू नगर की भौत को क्न पर फाटक के ऊपर चढ़ गया था और आंख उठाके देखा और क्या देखता है कि एक जन अकेला दौड़ता पाता है। २५ । और ने पुकार के राजा को कहा से राजा ने कहा यदि अकेला है तो उस के मह में संदेश हैं और वुह बढ़ते बढ़ने पास आया ॥ २६ । तब पहरू ने टूसरे जन को दोड़ते देखा और पहरू ने द्वारपालक को पुकार के कहा कि देख पुरुष अकेला दौड़ा आता है और राजा बोला कि वुह संदेश २७। तब पहरू ने कहा कि मैं देखता हूं कि अगले कि दौड़ मट्टक के बेटे अखिमराज की दौड़ की नाई है तब राजा बोला कि बुह भला मनुस्य है और मंगल संदेश लाता है। २८। और अखिमअज पहुचा और राजा से कहा कि सब कुशल है और राजा के आगे अांधे मह गिरा और बोला कि परमेश्वर आप का ईश्वर धन्य है जिस मे उन लोगों को जिन्हों ने मेरे प्रभु राजा के विरोध में हाथ उठाये सांप दिया ॥ २६ । तब राजा बोला कि अविसस्नुम कुशन से है और अखिमअज ने कहा कि जब राजा के सेवक यूअब ने टहल को भेजा तो उस समय मैं ने एक बड़ी भीड़ देखी पर मैं ने न जाना बुह क्या ३० नबराजा ने कहा कि अलग होके यहां खड़ा हो और जाके रहा ॥ ३१ । और वहीं कूशौ आया और कूशी ने कहा कि मेरे प्रभु राजा मंदेश है क्योकि परमेश्वर ने आज के दिन श्राप को उन सभी से जो आप के बैर में उठे थे पलटा लिया ॥ ३२ । तब राजा ने की से पूछा कि अविसलुम तरुण कुशन से है और कशी ने उत्तर दिया कि मेरे प्रभु राजा के बेरी और मब जा श्राप के। दुःख देने में उठते हैं श्राप उस तरुण की नाई हो जाये। ३३ । तब राजा अति व्याकुल हुआ कोठरी पर चढ़ गया जो फाटक के ऊपर थी और विलाप किया जाते जाते या कहा कि हाय मेरे बेटे अबिसलम हाय मेरे बटे हाय मेरे बेटे अविमलुम भला होता जा तेरी संती में ही मरता हाय अबिसलुम हाय मेरे बेट हाय मेरे बेटे। बुह अलग और उस