पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७४३

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४ पब को २ पस्तक) से और तेरे प्राण के जीवन सों में तुझे न छोड़ेंगी तब वुह उठा और उस के पीछे पीछे चला ॥ ३१ । तब जैहाजी उन से आगे आगे गया और छड़ी लड़के के मुंह पर धरी परन्तु कुछ शब्द अथवा मुरत न हुई इस लिये वुह उरसे भेंट करने को फिरा और उसे कहा कि लड़का नहीं जागा ।। ३२। और जब दूलीसान घर में पहुंचा तब वह बालक उस के विछाने पर मरा पड़ा था ॥ ३३ । तब बुह भीतर गया और दानों पर द्वार मंद के परमेश्वर से प्रार्थना किई ॥ ३४। और जाके बालक से लिपटा और उस के मुंह पर अपना मह रखा और उस की आंखों पर अपनी अांखें और उस के हाथों पर अपने हाथ और बालक पर फैल गया तब उस बालक को देह गरमाई॥ ३५ । फिर वह उठा और उस घर में इधर उधर टहलने लगा और फिर जाके उस पर फैला और बालक ने सात वेर छौंका और अपनी आंखें खोलौं ॥ ३६ । तब उस ने जैहाजी को बुलाके कहा कि उस सूनेमी को बुला से उस ने उसे बुलाया और जब बुह भौतर उस पास आई तो उस ने उससे कहा कि अपमा बेटा उठाते। ३७। तब चुह भीतर गई और उस के पात्रों पर गिरी और भूमि लो झक के दंडवत किई और अपने बेटे को उठा के बाहर गई ॥ ३८ । और इलीसाअ जिलजाल को फिर आया और उस देश में अकाल पड़ा था और वहां भविष्यद्वक्तों के पुत्र उस के साम्ने बैठे हुए थे और उस ने अपने सेवक से कहा कि बड़ा हंडा चढ़ा और भविष्यदलों के पुत्रों के लिये लपसी पका॥ ३६। और एक जन चौगान में गया कि कुछ तर- कारी चुन लावे और उस ने बनैले दाख पाये और उसे गोद भर के जंगली तुंबियां बटोरों और आके लपसी के हांडी में डाल दिई क्योंकि वे न जानते थे। ४० । सो उन्होंने लोगों के खाने के लिये उंडेला और योहा कि जब वे वह लपसौ खाने लगे तो चिल्ला उठ कि हे ईश्वर के जन खाने में मृत्यु है और खा न सके । ४१। तब उस ने पिमान मंग. धाया और उस हांड़े में डाल दिया और कहा कि लोगों के खाने के लिये उंडेल तब हांड़े में कुछ अवगण न हुना॥ १२। उमो समय बअल- सलीसः से एक पुरुष ईश्वर के जन पास पहिले अन्न की रोटा जब के बीस फुलके और अन्न से भरौहुई बालें अपने अंचल में लाया और बोला कि [A, B.S.] 93