पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/७८९

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को २ पुस्तक । १३ । तुम जो मेरे और लोगों के और सारे यहाह के यि ५५ मेम्बर से इम पम्त क के बचन के विषय में जा पाया गया है पर पूका कयाकि परमेम्बर का कोप हम पर निपट भड का है इस कारण कि उन सभा के समान जा हमारे विषय में लिखा है हमारे पितरां ने दूस पुस्तक के बचन को पानन करने को नहीं मना है। १४ । और खिलकियाह याजक और असीग्राम और अखबर और साफन और अमायाह हलदा बारमबत्तानो पासमय जो हर हाम के बेट निकवः के बर सनम बस्त्रों के रखवैय की पत्नी थी [अव बुह यरूसलम में एक दूसरे स्थान में रहती थी और उन्हें ने उस्मे बात चौन किई। १५। उस ने उन्ह कहा कि परमेश्वर इमराएल का ईपर यों कहता है कि तुम उम परुघ से जिस ने तुम्हें मुझ पास भेजा है कहो ॥ १६ । कि परमेश्वर या कहता है क देख मैं इस स्थान पर और उम के निवासियों पर उप्त पुस्तक को मारी बात जो यह दाह के राजा ने पही हैं अर्थात् बुराई लाऊंगा। १४ । क्योंकि उन्हां ने मुझे त्यागा है अरु और देवों के लिये धूप जलाया है जिसन अने हाथों के सारे काम से मुझे रिम दिलाये इस लिये मेरा कोप इस स्थान के बिरोध भड़के गा और बझाया न जायगा। १८ । परन्तु यहूदाह के राजा का जिस ने तुम्हें परमेश्वर से तूझने का भेजा उसे या काया कि परमेश्वर इसराएल का ईबर या कहता है कि जिन बचन का त ने मुना है। १६ । इस कारण कि तेरा मन कोनल था और परमेश्वर के आगेनने आप को नम्र किया है जब त ने सुना जो मैं ने इस स्थान के और उस के निवासियों के विरोध में कहा कि वे जाड़ित और लापन हो. और अपने कपड़े फाड़े हैं और मेरे घी विलाप किया परमेश्वर कहता है कि मैं ने भी २०। इस लिय देख में नझे तेरे पितरा के साथ बटोरूंगा और न अपनी ममाधि में कुशल से समेटा जायगा यार मारो दराई का ओ मैं दूम स्थान पर लाऊंगा तेरी बाख न देखगा तब वे र जा पास फेर सन्देश लाये। मुना है।