पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/८९

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था॥ ३८ पर्च] पुस्तक । ७। और यहूदाह का पहिलोटा एर परमेश्वर की दृष्टि में था से। परमेश्वर ने उसे मार डाला॥ ८। तब यहूदाह ने ओनान को कहा कि अपने भाई की पत्नी पाम जा और उससे ब्याह कर और अपने भाई के लिये बंश चला॥। और नान ने जाना कि यह बंश गेरा न होगा और यों हुआ कि जब बुह अपने भाई की पत्नी पास गया तो बीर्य को भूमि पर गिरा दिया न होवे कि उम का भाई उरसे बंश पावे ॥ २० । और उस का बुह कार्य परमेश्वर की दृष्टि में बुरा था इस लिये उस ने उसे भी मार डाला। ११ । तब यदाह ने अपनी पतोह नमर को कहा कि अपने पिता के घर में रांड बैठौ रह जब ले कि मेरा बेटा सेलः बढ़ जाय क्योंकि उस ने कहा न होवे कि बुह भी अपने भाइयों की नाई मर जाय से तमर अपने पिता के घर जा रही। १२ । और बहुत दिन बीते सूत्रः को बेटी यहूदाह की पत्नी मर गई और यहूदाह उस के शोक को भूला नब चुह और उस का मित्र अदलामी हीरः अपनी भेड़ों के रोम कतरने तिमनाम को गया॥ १३। और तमर से यह कहा गया कि देख तेरा ससुर अपनी भेड़ों के रोम कतरने तिमनास को आता है। १४। तब उस ने अपने रंडसाले के कपड़ों को उतार फका और बूंघट ओढ़ा और अपने को लपेटा और तिमनास के मार्ग में एक खुले हुए स्थान में बैठ गई क्योंकिउस ने देखा था कि सेलः मयाना हुआ और मझे उस की पत्नी न कर दिया। १५ । जब यहूदाह ने उसे देखा तो समझा कि कोई बेश्या है क्योंकि बुह अपना मुंह छिपाये हुए थी। १६। और मार्ग से उस की और फिरा और उसे कहा कि मुझे अपने पास आने दे और न जाना कि बुह मेरी पतोह है बुह बोली कि मेरे पाम आने में न मुझे क्या देगा॥ १७॥ बुह बोला मैं झुंड में से एक मेम्ना भेजूंगा उभ ने कहा कि तू उसे भेजने लेां मुझे कुछ बंधक दे ॥ १८ । बुह बोला मैं तुझे क्या बंधक देवुह बोली अपनी छाप और अपने बिजायठ और लाठी जा नेरे हाथ में है उम ने दिया और उस के पास गया और बुह उस्से गर्भिणी हुई। १६ । फिर वुह उठो और चली गई और चूंघट उतार रकवा और रंडमाले का बस्न पहिन लिया । २०। और यहदाह ने अपने मित्र अदूलामी के हाथ मेना भेजा कि उस स्त्री के