पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१०४

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ने की हमें शपथ वद्ध किया। यदि पाठक आज्ञा दें तो मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह पतित आदमी अब भी ब्रह्म निष्ट समझा जाता है, और अब भी कुछ स्त्रियों की उसके प्रति कृष्ण भावना और जार सम्बन्ध है, यह मारवाड़ी समाज की पतित नैतिक स्थिति के कारण ही हैं।

प्रायः ब्राह्मण लोग पूजा पाठ का ढोंग करने नित्य ही सद्गृहस्थो में जाते रहते हैं। खास कर मारवाड़ी परिवारों में। स्त्रियां इन से पर्दा भी नहीं करतीं। ये लोग खूब चुस्त, चालाक, चंट, लुच्चे होते हैं। हंस २ कर स्त्रियों से बात करते, उनका हाथ देखते, भविष्य बताते और इस बहाने उनके गुप्त भावो को जान अपना उल्लू साधते हैं। ऐसे जनेऊधारी अनेक सांडों को हम जानते हैं। पीछे वही पाजी इस काम की दलाली भी करने लगते हैं। और दूसरो के सन्देश और संकेत पहुंचाया करते हैं।

मन्दिर व्यभिचार की प्रवृत्ति के बड़े भारी केन्द्र हैं। कुछ दिन पूर्व दिल्ली के एक मन्दिर का रहस्योद्घाटन हुआ था। मन्दिर में प्रवेश करने के द्वार के पास एक स्थान नियत है जहां जाने वालो के जूते उतार कर रख लिये जाते हैं। इस काम पर स्वेच्छा से एक युवक ने अपने आपको पेश किया। वह प्रत्येक आगन्तुक के जूते लेकर रखता, और चलती बार देता था। बहुत सी युवतियां भी मन्दिर में आती थीं। जब से असहयोग आन्दोलन चला और पंजाबी संस्कृति दिल्ली में मिली, दिल्ली में निर्भय विचरने वाली युवतियों की काफी भीड़ होगई हैं। सायंकाल को चांदनी