पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/१३७

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करते हैं। जाटों में भी ऐसी ही प्रथा प्रचलित है। और यह तो मानी हुई बात है कि लड़की पैदा होते ही घर वालों के मुँह लटक जाते हैं—मानो कोई बड़ा भारी अपशकुन हो गया हो। लड़कियाँ बहुधा घरों में अवज्ञा और अपमान में पला करती हैं। बहुत सी कन्याएं बालकाल में मर जाती हैं। बंगाल में अनेक कन्याएं दहेज की कुप्रथा के कारण जल मरी हैं। ऐसी हत्याओं की कथा ऐसी करुणा पूर्ण है कि उन क्रूर कमीने माता पिताओं तथा जाति बन्धनों और कर्म बन्धनों के प्रति बिना तीव्र घृणा हुए नहीं रह सकती। प्रायः लड़कियों को प्यार के समय भी मरने की गाली दी जाती है। पर बेटे के लिये ऐसा कहना घोर पाप है।

अछूतों का प्रश्न तो खुला प्रश्न है। उन्हें हिन्दुओं ने बलपूर्वक इतना गिरा दिया है कि वे हमारे सामने ही जीते जी नरक भोग करते हैं।

आज महात्मा गान्धी के आत्म यज्ञ के कारण परिस्थिति में चाहे भी जैसी हलचल उत्पन्न हो गई हो फिर भी यह सत्य है कि अभी तक हम अछूतों को पशुओं से बदतर समझते हैं। साइमन कमीशन को जालन्धर के अछूत मण्डल ने जो अपना वक्तव्य दिया था उसका आशय इस प्रकार है—'हमें हिन्दू धर्म पर विश्वास नहीं। न हम उसके पाबन्द हैं। न हम हिन्दुओं से कोई राजनैतिक या सामाजिक सम्बन्ध रखते हैं। जो हमें छूने से भी घृणा करते और छाया से दूर रहना चाहते हैं। यद्यपि वे हमें