सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:धर्म के नाम पर.djvu/३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
( ३२ )

की थी। इसलिये वे मङ्गलवार के दिन बन्दरों को गुड़धानी खिलाना धर्म समझते हैं। इसी प्रकार गौ उन की माता है। उसे वे यदि उन के घर में कोई असाध्य बीमार हो जाय तो आटे के पिण्ड खिलाते हैं यह उन का धर्म है। कुत्ता भैरों जी की और चूहा गणेश जी की सवारी है, इन सब को जिमाना धर्म है। ख़ास कर काले कुत्ते को दूध पिलाना।

सर्प एक भयानक कीड़ा है। और उसका तुरन्त ही नाश कर देना उचित है, परन्तु हिन्दुओं के लिये एक देवता है, जिसकी पूजा करना और दूध पिलाना धर्म का काम है। अब मैं जानना चाहता हूँ कि विज्ञान, स्वास्थ्य कला, और सामाजिक जीवन के विरोध करने वाले ये नियम क्या बिल्कुल दया के दुरुपयोग के उदाहरण नहीं है?

मैं एक परिवार को जानता हूँ—इन्हें सनक सवार हुई है कि इनके घर में गड़ा हुआ धन है—और उसकी रखवाली सर्प देवता कर रहे हैं। मैंने देखा है—घर पुराना है और उसमें सर्प रहता है, वह सांप बहुधा घर में घूमा करता है, पर ये महाशय उसे मारते नहीं—दूथ पिलाते हैं, देखते ही हाथ जोड़ते हैं। इनके यहां एक किरायदार बुढ़िया रहती थी, दैव योग से एक दिन सर्प से उसका स्पर्श होगया। दूसरे ही दिन उसके पुत्र की सगाई चढ़ गई और यह सर्प देवता का प्रसाद समझा गया।

यही नहीं, और भी बहुत से कीड़े मकोड़े और जीव-जन्तु