सन्तान पर माता का प्रभाव तभी वह उच्च कोटि का कलाकार वैज्ञानिक और ज्ञानी कहलाया। संसार में मनुष्य का कितना महत्व है इसे हम सरलता से जान सकते हैं । मैं तो समझती हूँ, संसार का अर्थ मनुष्य है और मनुष्य का अर्थ संसार । ऐसे अमित महत्व- शाली मनुष्य का जन्म माता की कोख से होता है । पैदा होने वाले की अपेक्षा पैदा करने वाले का महत्व अधिक है । ऐसी दशा में माता का महत्व बताना मनुष्य की शक्ति के बाहर है । किन्तु ऐसी गौरवमयी मातायें आज अपने बारे में क्या समझती हैं, यह कहते मुझे लज्जा होती है । मातायें समझती हैं कि स्त्री जाति पतित, 'पैर की जूती,' दासी, मूर्ख, अविवेकी, और अनेक दुर्गुणों की खान हेाती है। अशिक्षित स्त्रियों के तो इस प्रकार के धार्मिक विचार से बन गये हैं । वे कहा करती हैं कि परमात्मा स्त्री की योनि किसी का न दे । इन भावनाओं से प्रेरित देविया सिंह-शावक के समान सन्तान कैसे पैदा कर सकती हैं ? ये सब भावनायें कहीं से आई हों इन सब का भूल जाना चाहिये । यदि आप का महापुरुष और महान् सन्तान चाहिये तो स्वयं अपने का भी वैसा ही बनाना होगा। यदि आप का नीरोग, हृष्ट-पुष्ट बलवान, वीर्यवान, बुद्धिमान, साहसी, सुन्दर और धर्मात्मा बालक चाहिये तो आप अपने का भी वैसा ही बनाइये । आपके गुणागुण- प्रतिबिम्ब के समान बच्चों पर उतर आते हैं। कहीं-कहीं हम देखते हैं माता-पिता अच्छे होते हैं और बेटे-बेटी अच्छे नहीं होते । कहीं-कहीं एक ही माता की सन्तानों के गुण- स्वभाव में बहुत अन्तर रहता है । इससे कुछ लोग उपर्युक्त बात पर विश्वास नहीं करते । किन्तु विचार करके देखें तो समझ में आ जायगा। बच्चा जब 6 महीने पेट में रहा है तब जिन २ बातों से, जिन जिन परिस्थितियों में से मैं गुजरती है उस सब का असर बच्चों पर पड़ता है। उन दिनों यदि मा का ग्वास्थ्य अच्छा नहीं हुआ, स्वभाव चिड़चिड़ा या क्रोधी हुआ, उसे दुख या शोक हुआ तो बच्चे पर इन सब बातों का असर अवश्य होगा। और यदि स्वास्थ्य अच्छा हुआ, आल्हाद, उत्सव और प्रसन्नता रही, उच्च, उदार और अच्छे विचार हुए तो बच्चा भी बहुत चपल, सुडौल, सुन्दर और हँसमुख होगा । मनुष्य के दिल पर परिस्थिति के अनुसार सुख, दुख आदि अनेक दशाएँ गुजरती हैं और जिन जिन दशाओं से बालक को गुजरना होता है उन्हीं के अनुरूप वह भी बन जाता है । इसलिये एक ही माता की सन्तानों में साम्य नहीं होता । यह तो हुई रक्त की बात । पर यहाँ तक मानते हैं कि संगीत से मनुष्य बिगड़ और सुधर जाता है । कहावत है कि काले -
पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/११५
दिखावट