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पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/१३१

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११५ हमारी विवाह-प्रथा विवाह की प्रथा बन्द हो गई है । अन्तर्देशीय या अन्तर्जातीय की बात ही क्या, एक ही जाति में सम्बन्ध नहीं होते । इसी प्रकार वैश्यों में दस्से, बीसे, अग्रवाल, माहेश्वरी आदि कई विभेद हैं । वैसे तो अन्तर्जातीय या अन्तर्राष्ट्रीय बिवाहों के उदाहरण भी आज मिलते हैं और कहीं कहीं विधवा विवाह के भी मिल जाते हैं किन्तु समाज उन्हें हीन ही दृष्टि से देखता है । उनके साथ रोटी-बेटी का व्यवहार मी पसन्द नहीं करता । पूर्वकाल में अन्तर्राष्ट्रीय विवाह तो काफी सम्मानपूर्ण माने जाते थे । क्योंकि आज की तरह उस समय यातायात के साधन इतने सरल और इतने सुविधाजनक न थे । उस समय अमरीका आदि स्थानों में जाना मानों दूसरी दुनिया में ही जाना था और वहां की कन्याओं को ले आना भी काफी बहादुरी का कार्य समझा जाता था । पुनर्विवाह अथवा विधवा विवाह तो आज प्रथम विवाह की या विधुर विवाह की तरह विधि पूर्वक होते हैं किन्तु नातरा में विधिवत विवाह नहीं होता । इसमें असंस्कृत रीति-रिवाजों का चलन है जिससे स्त्री का काफी अपमानित होना पड़ता है । अतः नातरा प्रथा को पुनर्विवाह में शामिल कर लिया जाय तो स्त्रिया अपमान और अपसंस्कार से बच जायँ । विवाह की भाषा भी वह होनी चाहिये जिसे वर वधू समझ सके । आज वर वधू की ओर से पंडित पुरोहित ही प्रतिज्ञायें बोल लेते हैं। जिन्हें प्रतिज्ञा लेनी होती है वे न तो उस प्रतिज्ञाओं का (शास्त्राज्ञा का ) अर्थ ही समझ सकते हैं और न धर्म ही। जिसमें बालक वर-वधू तो खेलने, खाने, पहिनने, गीत, बाजे, हँसी मजाक सुनने के सिवा विवाह के काई मानी ही नहीं समझते । यह तो लेखिका के स्वयं अनुभव की बात है । अतः विवाह की भाषा राष्ट्र-भाषा या जनता की बोल-चाल की सुचारु और शुद्ध भाषा हो । जिसे परिजन, पुरजन और वर वधू, · आसानी से समझ सके उसी भाषा में माता-पिता, चाचा-चाची, भाई-बहिन आदि रिश्तेदार, पड़ोसी, समाज, नगर और राष्ट्र के प्रति नवदम्पत्ति को कर्तव्य समझाया जाय। क्योंकि वे अपने सिर पर एक बड़ीसी जवाबदारी लेकर नवीन जीवन मे, नवीन आश्रम में प्रवेश करते हैं । विवाह के समय उनमें वे भाव जागृत करने चाहिये जिनका यथार्थ पालन उन्हें अब करना है । उन्हें मालूम होना चाहिये कि अभी तक वे देश की संपत्ति से पढ़-लिखकर इतने बड़े स्वस्थ सुन्दर बलवान और ज्ञानवान हुए हैं । अब उन पर देश समाज और माता-पिता के प्रति बड़ा भारी उत्तरदायित्व आ गया है । भावुक रहने के कारण स्त्रियों के मन पर परिस्थिति के अनुरूप भाव अधिक