पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६३ हिन्दी साहित्य और खियाँ बढ़ना जानता है; पीछे लौटना नहीं। लेकिन हमारा समाज जीवन नैया को उलटा बहाना चाहता है । मनुष्य का चाहिये कि वह देश-काल के अनुसार स्वयं उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहे । ऐसा करने पर ही वह अपनी और समाज की पूर्ण उन्नति कर सकेगा। वर्तमान समय में स्त्रियों को शिक्षित होकर कार्यक्षेत्र में उतरने की बहुत आवश्यकता है। जब तक स्त्रियाँ शिक्षण, श्रम और चरित्र द्वारा देश-काल के महत्व को नहीं समझती तब तक उनकी और समाज की उन्नति होना सम्भव नहीं ।