पृष्ठ:नारी समस्या.djvu/८१

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माता का उत्तरदायित्व ऐसी अनेकां आदतें रहती हैं जिनसे कष्ट होता है। और बचपन की आदतें तो बच्चों में घर बना लेती हैं । जन्म से पाँच वर्ष के भीतर बच्चे में जो आदतें पड़ जायेंगी वे जीवन भर उसका साथ सरलता से नहीं छोड़ेंगी और इसकी जवाबदारी माता पर रहेगी। मेरे विचार से पतित्रता पनी हाना सरल है किन्तु आदर्श माता बनना कठिन है। हमारे यहाँ स्त्रियों के लिये पतिव्रत धर्म सर्वश्रेष्ठ धर्म कहा गया है । पतिव्रताओं के सामने बड़े-बड़े देवता और शक्तिया भी हार मान जाती हैं । किन्तु आदर्श माता के सामने बड़ी-बड़ी पतिव्रताओं का हार खानी पड़ेगी। पतित्रता होना तो आदर्श माता का कर्त्तव्य अथवा एक अंग है । बच्चा कैसा होना चाहिये इसकी कल्पना तो माता को गर्भ धारण के पहिले ही से बना लेनी होगी। अपने अन्दर की सभी कमजोरियों को ढूंढ-ढूँढ कर, खींच-खींच कर बाहर कर देना चाहिये । शरीर जितना स्वच्छ, शुद्ध और नीरोग होगा बच्चे के स्नायु उतने ही दृढ़ होंगे। पाँच घन्टे बच्चा स्कूल में रहता है और बाकी समय माता की देख-रेख में । यह समझना कि बच्चा स्कूल में ही पढ़ लिखकर होशियार हो जायगा भूल होगी। बच्चे अथवा बड़े सभी के दिल पर क्रियात्मक वातावरण का जो असर पड़ेगा वह पुस्तकों में पढ़े हुए आदर्श का नहीं । स्कूल में अध्यापक कैसे हैं ? बच्चे कैसे हैं ? जिनकी संगति में बच्चे को अपना भविष्य बनाने के लिये प्रति दिन पाँच घण्टे रहना पड़ता है इस ओर भी माता-पिता को ध्यान देना आवश्यक है। स्कूल के बाहर निकलने के बाद बच्चा कहाँ रहता है, बच्चा क्या करता है इसकी जवाबदारी माता और पिता ही पर है । पाँच वर्ष की अवस्था तक बच्चों का अधिकतर समय मातापिता के निकट ही बीतता है। वह चार महीने की अवस्था से ही मातापिता की नकल करने की प्रवृत्ति ग्रहण कर लेता है । वह माता की भाषा में बोलने की चेष्टा करता है । धीरे-धीरे उसी लहजे में बोलना सीख लेता है । यदि बच्चे का अधिक समय दाई और नौकरों के पास जायगा तो वह उनसे भी बहुत सीखेगा। अतः बच्चे को माता पिता से उचित प्यार मिलना चाहिये ताकि उसकी श्रद्धा उन पर जम सके । बच्चे की श्रद्धा जिस पर अधिक जमेगी उसीका अनुकरण वह करेगा । बच्चा देखता है कि डाक्टर का आदर सभी घर वाले करते हैं । वह अपटुडेट ड्रेस में एक खास लहजे के साथ आता है । बीमार के पलंग के पास बैठकर उसका हाथ देखता है । दवा देता है । बच्चे के कोमल हृदय पर यह चित्र अंकित हो जाता है। वह भी बड़े उत्साह से अकड़कर चलता है और किसी लेटे हुए