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पृष्ठ:निबंध-रत्नावली.djvu/५९

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(४) अयोध्या

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची ह्यवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायकाः॥

अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन और द्वारका ये सप्तपुरी के नाम से प्रसिद्ध हैं और शास्त्रों में मोक्षदायक कही गई हैं। इनके माहात्म्य और प्रताप के वर्णन से बड़े बड़े ग्रन्थ भरे पड़े हैं। इन्हीं सात पुरियों की विभूति और समृद्धि की बड़ाई सुनकर समय समय पर विदेशियों ने इस देश पर चढ़ाई की थी। इन सातों की रक्षा के निमित्त जैसे जैसे घोर संग्राम हमारे पूर्वज महापुरुषों ने किये हैं वैसे युद्ध उन्होंने अपने धन, दुर्ग और नगर तथा पुत्र आदि बचाने के लिये भी नहीं किये। जितना रक्तप्रवाह यहाँ एक एक पुरी और देवमूर्ति के पीछे हुआ है, उतना दूसरे देशों में संपूर्ण देश भर के लिये भी हुआ कि नहीं, इसमें भी बहुत लोगों को संदेह है।

ये सप्तपुरियाँ हमारे धर्म्म एवं धन की रखनेवाली, शक्ति- संचारिणी और महा-माया की अपर मूर्तियाँ हैं। इनकी सुदशा से हमारी दशा सुधरती है और इनकी दुर्दशा से हमारी दशा बिगड़ती है। संसार सागर से पार होने की यही सात नौकाएँ हैं। पापपंक में डूबते हुए को ये ही सात तीर्थ हैं। जिज्ञासु