पृष्ठ:निबन्ध-नवनीत.djvu/१७२

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इजलास-अगरेजी शब्द है, इज 15 (है) Lass (हानि) अर्थात् जहां जाने से अवश्य हानि है, अर्थवाई माने यह, जलासा अर्थात् कोयला सा काला मादमी । अथवा फारसी तो शब्द ही है, ज़ेर के बदले जयर अर्थात् अजल (मौत) की आस (आशा) अथवा विना जल (पानी) के पास लगाप खडे रहो।

चपरासी-लेने के लिए चपरा के समान चिपकती हुई यात करनेवाला 1 न देनेवालों से चप (चप): रासी का अर्थ फारसी में हुआ, 'नेवला है तू-अर्थात् 'चुप रह, नेवला की तरह तू क्या ताकता है।' कहनेवाला । बथवा फारसी में चप के माने याया अर्थात् अरिष्ट के हैं (विधि घाम इत्यादि रामायण में कई और पाया है, अर्थात् तू वाम नेवला है, क्योंकि कोल डालता है।

शरदली-परिवत् दलतोति भावः ।

जी-(शुद्ध शब्द इसस्तरी) अग्नितप्त लोह के समान गुण जिसमें । (धोयो का एक औजार)

मेहरिया-जिसकी आग्यो में मेह (वात २ पर रोना) और हदय में रिया (फारसी में कपट को रिया कहते है) का चास हो।

लोगाई-जिसमें नौ गौओं की सी पशुता हो। यंगाली लोग बहुधा नकार, के बदले तकार और लकार के बदले नकार योलते हैं, जैसे नुकसान को लोक्शान, निज।' को निरनज।

ब्रोल-जो रूठना खूब जानती हो।

पुरुष-पुरु कहत हैं जेह में स्नेतु सींचा जाथै, और 'म' आकाश (सस्कृत में ।) अर्थात् शून्य । भावार्थ यह या