सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:निर्मला.djvu/२२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
निर्मला
२२०
 

सहृदयता का जलाया हुआ दीपक निर्दथ व्यङ्ग के एक झोंके से बुझ गया! अड़ा हुआ घोड़ा चुमकारने से जोर मारने लगा था; पर हण्टर पड़ते ही फिर अड़ गया और गाड़ी को पीछे ढकेलने लगा!!