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पृष्ठ:निर्मला.djvu/५५

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निर्मला
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मोटे०--तीसरी नक्कल देखिए। एक ज़मींदार का लड़का है। कोई एक हजार सालाना नफा है। कुछ खेती-बारी भी होती है। लड़का पढ़ा-लिखा तो थोड़ा ही है; पर कचहरी अदालत के काम में चतुर है। दुहाजू है। पहली स्त्री को मरे दो साल हुए। उससे कोई सन्तान नहीं है। लेकिन रहन-सहन मोटा है। पीसना-कूटना घर ही में होता है।

कल्याणी--कुछ दहेज भी माँगते हैं?

मोटेराम--इसकी कुछ न पूछिए। चार हजार सुनाते हैं। अच्छा,यह चौथी नकल देखिए। लड़का वकील है, उम्र कोई पैतीस साल होगी। तीन-चार सौ की आमदनी है। पहली स्त्री मर चुकी है। उससे तीन लड़के भी हैं। अपना घर बनवाया है। कुछ जायदाद भी खरीदी है। यहाँ भी लेन-देन का झगड़ा नहीं है।

कल्याणी--खानदान कैसा है?

मोटे०--बहुत ही उत्तम, पुराने रईस हैं। अच्छा, यह पाँचवीं नकल देखिए। बाप का छापाखाना है। लड़का पढ़ा तो बी० ए० तक है, पर उसीछापेखाने में काम करता है। उम्र अठारह साल होगी। घर में प्रेस के सिवाय कोई जायदाद नहीं है; मगर किसी का क़र्जा सिर पर नहीं। खानदान न बहुत अच्छा है, न बुरा।लड़का बहुत सुन्दर और सच्चरित्र है। मगर एक हजार से कम में मामला तय न होगा, माँगते तो वह तीन-हज़ार हैं। अब बताइए आप कौन सा वर पसन्द करती हैं।

कल्याणी--आपको सबों में कौन पसन्द है?