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पृष्ठ:निर्मला.djvu/७२

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छठा परिच्छेद
 

तोताo--अजी यह सब कर चुका। दम्पति-शास्त्र के सारे मन्त्रों का इम्तहान ले चुका ; सब कोरी गप्पें हैं।

नयनo--अच्छा तो अब मेरी एक सलाह मानो। ज़रा अपनी सूरत वनवालो। आजकल यहाँ एक बिजली के डॉक्टर आए हुए हैं, जो बुढ़ापे के सारे निशान मिटा देते हैं। क्या मजाल कि चेहरे पर एक झुर्री या सिर का कोई बाल पका रह जाय। न जाने ऐसा क्या जादू कर देते हैं कि आदमी का चोला ही बदल जाता है।

तोता--फीस क्या लेते हैं?

नयनo–फीस तो सुना ज्यादा लेते हैं; शायद पाँच सौ रुपये।

तोताo--अजी कोई पाखण्डी होगा, बेवक़ूफों को लूट रहा होगा। कोई रोग़न लगा कर दो-चार दिन के लिए जरा चेहरा चिकना कर देता होगा। इश्तहारी डॉक्टरों पर तो अपना विश्वास ही नहीं। दस-पाँच की बात होती, तो कहता जरा दिल्लगी ही सही। ५००) बड़ी रकम है।

नयनo--तुम्हारे लिए ५००) कौन बड़ी बात है। एक महीने की आमदनी है। मेरे पास तो भई अगर ५००) होते, तो सब से पहला काम यही करता। जवानी के एक घण्टे की कीमत ५००) से कहीं ज्यादा है।

तोताo--अजी कोई सस्ता नुस्खा बताओ, कोई फकीरी जड़ी-बूटी हो कि बिना हर्र-फिटकरी के रङ्ग चोखा हो जाय। बिजली और रेडियम बड़े आदमियों के लिए रहने दो। उन्हीं को मुबारक हों।

नयनo-तो फिर रँगीलेपन का स्वाँग रचो, यह ढीला-ढाला